Dussehra 2022: दशहरा की पूजा के लिए है शुभ मुहूर्त, राहु काल में भूल से भी ना जलाएं रावण का पुतला

Dussehra 2022: दरहरा पर रावण दहन के साथ-साथ आयुध पूजा की भी परंपरा है. ऐसे में ये कार्य शुभ मुहूर्त में करना अच्छा रहेगा.

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Dussehra 2022: दशहरा पर रावण दहन और आयुध पूजा के लिए ये हैं शुभ मुहूर्त.

Dussehra 2022 Shubh Muhurat: हिंदू धर्म में दशहरा पर्व का खास महत्व है. दशहरा को विजयादशमी और आदुध पूजा (Ayudha Puja) भी कहा जाता है. हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है. देशभर में आज पूरे हर्ष और उल्लास के साथ विजयादशमी (Vijayadashami) का त्योहार मनाया जा रहा है. दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर मनाया जाता है. इस दिन रावण दहन के साथ-साथ अस्त्र और शस्त्र की पूजा होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण दहन (Ravan Dahan Shubh Muhurat) और आयुध पूजा शुभ मुहूर्त (Ayudha Puja Shubh Muhurat) में करना अच्चा माना गया है. आइए जानते हैं कि आज रावण दहन और आयुध पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या है. 

आयुध पूजन और रावण दहन का शुभ मुहूर्त | Ayudha Puja Ravan Dahan Muhurat

ज्योतिष के जानकार और पंडितों के मुताबिक दशहरा पर आज दशमी तिथि दोपहर 12 बजे तक है. ऐसे में विजया दशमी पूजन का शुभ मुहू्र्त सुबह 7 बजे से 9 बजकर 13 मिनट तक है. इसके अलावा सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 2 बजकर 10 मिनट तक विजया दशमी पर पूजन किया जा सकता है. वहीं विजय मुहूर्त होपहर 2 बजकर 07 मिनट से 2 बजकर 54 मिनट तक है.

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विजयादशमी पर इन मुहूर्तों में ना करें कोई कार्य | Vijayadashami Shubh Muhruat

दशहरा यानी विजयादशमी पर आज राहुकाल, दूर्मुहुर्त, गुलिक काल, यमगंड इत्यादि मुहूर्त भी हैं. ऐसे में इन मुहूर्तों में कोई भी शुभ कार्य आरंभ करने से बचना अच्छा रहता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
 

  • राहुकाल- दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से 1 बजकर 38 मिनट तक
  • यमगंड- सुबह 7 बजकर 44 मिनट से रात 9 बजकर 13 मिनट तक
  • गुलिक काल- सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक
  • दुर्मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक

आयुध पूजा का क्या है पौराणिक महत्व |  Ayudha Puja Importance

दशहरा के दिन आयुध पूजा का खास महत्व है. इससे जुड़ी कथा का वर्णन पुराणों में भी मिलता है. कथा के अनुसार, जब महिषासुर नामक दौत्य का आतंक बहुत बढ़ गया तो देवताओं ने देवी दुर्गा की स्तुति की. जिसके बाद देवी प्रकट हुईं. देवताओं ने उन्हें अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए. इन्हीं शस्त्रों की सहायता से देवी ने महिषासुर का वध किया. इस वजह से विजयादशमी पर आयुध पूजन किया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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