गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में करें इन मंत्रों का जाप

मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति मां ब्रह्मचारिणी हैं. मां ब्रह्मचारिणी को तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा नाम से भी पूजा जाता है. मान्यता है कि देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी के पूजन के समय इन मंत्रों का जाप करना शुभ और फलदायी माना जाता है.

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गुप्त नवरात्रि पर इन मंत्रों से करें मां ब्रह्मचारिणी की आराधना
नई दिल्ली:

गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना की जाती है. देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योर्तिमय है. ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं. मां ब्रह्मचारिणी को तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा नाम से भी पूजा जाता है. आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है. मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) के दाएं हाथ में माला है और देवी ने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है. देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है. मान्यता है कि देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी के पूजन के समय इन मंत्रों का जाप करना शुभ और फलदायी माना जाता है.

मां ब्रह्मचारिणी मंत्र | Maa Brahmacharini Mantra

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

श्लोक

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र

ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं ब्रह्मचारिणीय नमः

मां ब्रह्मचारिणी कवच | Brahmacharini Kavach

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।

अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥

षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी

मां ब्रह्मचारिणी स्तोत्र

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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