Diwali 2025 Date Kab Hai: सनातन परंपरा में प्रकाश के महापर्व दीपावली का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है. धन की देवी मां लक्ष्मी और रिद्धि-सिद्धि के देवता भगवान गणेश जी की पूजा से जुड़ा यह पावन पर्व 20 या फिर 21 अक्टूबर को मनाया जाएगा, इसे लेकर लोगों के बीच में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. वहीं कुछ लोग दिवाली (Diwali) और गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) के बीच होने वाले एक दिन के गैप को लेकर परेशान है. धनतेरस (Dhanteras) से लेकर भाई दूज तक की सभी सही तारीख को लेकर जो कन्फ्यूजन आपके मन में है, उसे काशी विद्वत परिषद (Kashi Vidvat Parishad) ने दूर करते हुए एक मत से सही तारीखें घोषित कर दी हैं. आइए दिवाली समेत सभी पर्वों की सही तारीखें ज्योतिष एवं शास्त्रीय नियमों के आधार पर जानते हैं.
काशी विद्वत परिषद ने दूर किया कन्फ्यूजन
काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेद्वी के अनुसार सूर्य सिद्धांत के अनुसार ही पंचांग निर्माण की हमारी ऋषि परंपरा रही है. धर्म शास्त्र के अनुसार ही हमारे निर्णय पूर्णत: फलित होते हैं, इसी को आधार मानते हुए देखें तो 20 अक्टूबर 2025 को 02:45 मिनट पर अमावस्या लग रही है. हमारे यहां प्रदोष व्यापिनी अमावस्या ही दीपावली पर ग्राह्य होती है जो कि अगले दिन 04: 15 बजे तक रहेगी. ऐसे में धर्मशास्त्र और ज्योतिषीय सिद्धांत के आधार पर दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर 2025 को ही मनाया जाएगा.
प्रो. राम नारायण द्विवेद्वी के अनुसार कुछ पंचांग में भ्रमवश दिखाया गया है कि प्रदोष व्यापिनी अमावस्या 21 अक्टूबर 2025 तक जा रही है जो कि गणितीय दृष्टि से देखें तो कहीं से भी संभव नहीं हो रहा है. उन पंचांगकारों से विमर्श करने के बाद तय हुआ है कि 2026 से हम एकमत होकर पर्वों पर निर्णय करेंगे, ताकि सनातनी परंपरा में पर्व की तिथि को लेकर किसी प्रकार का कोई संशय न रहे.
तारीख को लेकर क्यों पैदा हुई गलतफहमी?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष (Astrology) विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय कहते हैं कि हमारे देश में दो तरह के पंचांग प्रचलित हैं. इसमें से एक पारंपरिक सूर्य सिद्धांत के आधार पर तैयार होता है और दूसरा पंचांग (Panchang) पोजिशनल एस्ट्रोनॉमी सेंटर से डेटा लेकर बनाता है. उसमें उनका अपना कैलकुलेशन नहीं होता है, उसी को आधार मानकर कुछ लोग अपना पंचांग तैयार कर देते हैं, जबकि हमारे यहां धर्मशास्त्र (Dharma Shastra) और ज्योतिष (Astrology) को मिलाकर पंचांग बनता है. इसमें धर्मशास्त्र के लिए जो डेटा उपयुक्त है, उसको देखते हुए व्रत-पर्व आदि का निर्णय लिया जाता है, जबकि पोजिशनल एस्ट्रोनॉमी सेंटर से मिलने वाला डेटा धर्मशास्त्र के लिए नहीं होता है.
क्या कहता है काशी का पंचांग?
प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार दिवाली को लेकर कोई विवाद ही नहीं है, क्योंकि उसमें अमावस्या दोपहर के समय लगभग 02 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन तकरीबन 04 बजे समाप्त हो जा रही है. चूंकि दीपावली में अमावस्या प्रदोषकाल (Pradosh Kaal) में मिलनी चाहिए, यानि सूर्यास्त के बाद 02 घंटे 24 मिनट तक रहे. इस नियम के अनुसार अमावस्या को ही मिल रही है. उनके मुताबिक सभी पारंपरिक पंचांग में बगैर किसी विवाद के 20 अक्टूबर 2025 को ही दीपावली का पर्व घोषित किया गया है.
दूसरे पंचांग के अनुसार भी दिवाली 20 को रहेगी!
प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार जो लोग पोजिशनल एस्ट्रोनॉमी सेंटर से डेटा लेकर पंचांग बनाते हैं, उनके यहां सूर्यास्त से पहले अमावस्या शुरु हो जा रही है दूसरे दिन सूर्यास्त के बाद 25 या 30 मिनट तक जा रही है. उसमें भी पूर्ण प्रदोषकाल पहले दिन यानि 20 अक्टूबर 2025 को मिल रहा है. उनके अनुसार धर्मशास्त्र कहता है कि यदि पहले दिन प्रदोषकाल में अमावस्या (Amavasya) हो वह तीन प्रहर तक जा रही हो तथा अगले दिन साढ़े तीन प्रहर जा रही हो, तो ऐसी परिस्थिति में दीपावली दूसरे दिन ही मनाई जाएगी.
21 तारीख को दीपावली बताने वाले दूसरे पंचांग वालों का यही तर्क है, लेकिन दीपावली में प्रदोषकाल में चार कम, तीन कम एक साथ होते हैं. इसमें एक लक्ष्मी पूजन, दूसरा उल्कामुख दर्शन, तीसरा नत्त व्रत का पारणा होता है. नत्त व्रत का पारणा का अर्थ है कि हमें अमावस्या का व्रत रखना है और उसी तिथि पर प्रदोषकाल में उसका पारणा करना होता है और यही दूसरे पंचांग के गणितीय मान के अनुसार 21 अक्टूबर 2025 को नहीं मिल रहा है. ऐसे में देखें तो उनके अनुसार भी 21 तारीख को दिवाली सिद्ध नहीं हो रही है. प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार यह भ्रम सिर्फ पंचांग को ठीक से नहीं जानने और समझने के कारण हो रहा है.
नोट करें दीपावली पंचपर्व की सही तारीखें -
धनतेरस : 18 अक्टूबर 2025
नरक चतुर्दशी / हनुमान जयंती : 19 अक्टूबर 2025
दिवाली लक्ष्मी पूजन : 20 अक्टूबर 2025
अन्नकूट / गोवर्धन पूजा : 22 अक्टूबर 2025
भाई दूज/ यम द्वितीया : 23 अक्टूबर 2025
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)