6 जुलाई को है देवशयनी एकादशी, इस दिन शालिग्राम की पूजा का क्या है नियम, जानिए ज्योतिषाचार्य से

आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से कैसे देवशयनी एकादशी के दिन आप शालिग्राम की पूजा करें, इसका क्या है सही नियम. 

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शालिग्राम के भोग में तुलसी के पत्ते अवश्य डालिए, क्योंकि तुलसी के बिना शालिग्राम जी की पूजा अधूरी मानी जाती है.

Shaligram puja niyam : आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं. इस साल 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को मनाई जाएगी. पुराणों में उल्लेख आता है इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए छीर सागर में योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं. यहीं पर वह अपनी पत्नी देवी लक्ष्मी के साथ निवास करते हैं. वहीं, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को 2 नवम्बर 2025 को योगनिद्रा से जागते हैं, जिसे देव प्रबोधिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से कैसे देवशयनी एकादशी के दिन शालिग्राम की पूजा करें. इसका सही नियम क्या है. 

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कैसे की जाती है शालिग्राम की पूजा

1- पंडित अरविंद मिश्र बताते हैं कि देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु के शालिग्राम की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत होकर चौकी सजाकर भगवान शालिग्राम जी को शुद्ध जल या पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल) से स्नान कराकर उन्हें वस्त्र पहनाएं.

2- इसके बाद चंदन का टीका लगाएं, पीले फूल चढ़ाएं और फूल माला पहनाएं. शालिग्राम जी को तुलसी बेहद प्रिय है. इसलिए शालिग्राम के साथ बिठाएं, क्योंकि देवी तुलसी को उनकी पत्नी का दर्जा दिया जाता है. शालिग्राम के भोग में तुलसी के पत्ते अवश्य डालिए. क्योंकि तुलसी की पत्ती के बिना शालिग्राम की पूजा अधूरी मानी जाती है. फिर आप दीपक, धूप बत्ती जलाएं और ओम नमो नारायणाए मंत्र का जाप करें.

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3- विधिपूर्वक पति-पत्नी जोड़े से भगवान शालिग्राम जी की पूजा करें. फिर आप भगवान को घर का बना हुआ शुद्ध सात्विक भोग बनाकर लगाएं,फल, मिठाई पंचमेवा आदि भगवान शालिग्राम को अर्पित करिए. भगवान का भजन गाएं और कीर्तन करें. उसके बाद परिवार एवं मित्रों सहित भगवान श्री विष्णु जी की आरती करिए. आरती के बाद शालिग्राम जी को अर्पित किए गए भोग को प्रसाद के रूप में बांटे और स्वयं ग्रहण करें.

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4- शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है  इसलिए उनकी पूजा से भगवान श्री विष्णु जी और माता लक्ष्मी दोनों बहुत प्रसन्न होते हैं, उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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5- आपको बता दें कि शालिग्राम जी की पूजा नियमित करनी चाहिए. यदि संभव हो तो किसी योग पंडित से सलाह लेनी चाहिए अथवा पूजा करनी चाहिए. अगर आप शालिग्राम की ठीक से देखभाल नहीं कर पा रहे हैं, तो उनकी सेवा से विराम लेकर किसी पवित्र नदी में अथवा तीर्थ में जल में प्रवाहित कर दें. 

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6- शालिग्राम जी को इधर-उधर न रखें. भगवान अनंत है इस अखिल विश्व ब्रह्मांड के नायक हैं. सृष्टि के कण-कण में भगवान विराजमान हैं. तो हम भगवान को जिस रूप में भी हम पूछते हैं, वे हमारी पूजा आराधना को स्वीकार करके हमें विभिन्न प्रकार की समस्याओं से मुक्त कर हमारी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं और अनुदान वरदान देते हैं. 

7- शालिग्राम जी की पूजा सबसे सरल और सामान्य है. जिस घर में शालिग्राम जी की पूजा नित्य प्रति विधि पूर्वक होती है. उस घर में कभी किसी की अकाल मृत्य नहीं होती.शालिग्राम जी की पूजा सभी को करनी चाहिए. अपने पूजा मंडप में शालिग्राम जी को अवश्य बिठाना चाहिए.

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