Devshayani Ekadashi 2033: देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है. इस एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु शयनकक्ष में निद्रा में चले जाते हैं. इस एकादशी से ही चातुर्मास शुरू हो जाते हैं. चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्यों को करने से परहेज की सलाह दी जाती है, जैसे शादी-ब्याह, मुंडन और गृहप्रवेश आदि. इस चलते इस एकादशी का विशेष महत्व होता है. इस एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) रखने पर माना जाता है कि जीवन में सफलता मिलती है और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. इसके अतिरिक्त भगवान विष्णु कष्टों को हर लेते हैं.
देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा
सालभर में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं. इस साल आषाढ़ मास की एकादशी आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 29 जून सुबह 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 30 जून सुबह 2 बजकर 42 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इस चलते उदया तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 29 जून के दिन ही रखा जाएगा.
देवशयनी एकादशी पर व्रत रखने और पूजा करने की विशेष मान्यता है. इस एकादशी पर पूजा करने वाले साधकों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पूजा करने के लिए इस दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करना भी अच्छा मानते हैं. पूजा के लिए आसन पर विष्णु भगवान (Lord Vishnu) की प्रतिमा सजाई जाती है. इसके बाद पीले वस्त्र, पीले फूल, चंदन और फलाहार विष्णु भगवान के समक्ष अर्पित करते हैं. आरती और कथा सुनने के बाद पूजा संपन्न होती है.
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी पर पीले रंग का खास इस्तेमाल होता है. कहते हैं पीला रंग भगवान विष्णु को अतिप्रिय होता है. इसलिए भक्त इस दिन पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले रंग का ही भोग भगवान के समक्ष चढ़ाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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