Chandra Darshan 2025 Date and time: सनातन परंपरा में भगवान सूर्यदेव की तरह चंद्र देवता की भी पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इनके दर्शन में भी हमें प्रत्यक्ष रूप से होते हैं. ज्योतिष के अनुसार जहां सूर्य आत्मा और पिता का कारक होता है, वहीं चंद्रमा मन और माता का कारक माना गया है. यही कारण है कि हिंदू धर्म में सूर्य देवता की तरह चंद्र देवता की पूजा भी काफी महत्वपूर्ण मानी गई है. साल में कई ऐसे पर्व आते हैं जिसमें चंद्र देवता की पूजा के बाद ही हिंदू व्रत और त्योहार पूर्ण होते हैं. सनातन परंपरा में सूर्य देवता के दर्शन की तरह चंद्र दर्शन का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. साल के आखिरी महीने में कब होंगे चंद्र देवता के दर्शन और क्या है इसका धार्मिक महत्व आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
कब होगा चंद्र दर्शन?
हिंदू धर्म में अमावस्या (Amavasya) के अगले या फिर दूसरे दिन होने वाले चंद्र दर्शन का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इससे से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, सौभाग्य ओर मानसिक शांति मिलती है. इस दिन बहुत से लोग चंद्र देवता के लिए व्रत भी रखते हैं. पंचांग के अनुसार साल का आखिरी चंद्र दर्शन 21 दिसंबर 2025, रविवार यानि साल के सबसे छोटे दिन होगा. इस दिन चंद्र देवता का पूजन और दर्शन करने के लिए साधकों को सायंकाल 05:29 से 06:24 बजे के बीच तकरीबन 55 मिनट का समय मिलेगा.
कैसे करना चाहिए चंद्र दर्शन?
हिंदू मान्यता के अनुसार अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन करने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले तन और मन से पवित्र होकर सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए. इसके बाद शुभ मुहूर्त में चंद्र देवता को दूध और गंगाजल से अर्घ्य देना चाहिए. इसके बाद धूप-दीप दिखाकर चंद्र देवता को खीर का भोग लगाएं और चंद्रमा के मंत्र ॐ सों सोमाय नम: का कम से कम एक माला जप करें.
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चंद्र दर्शन का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार किसी भी मास की अमावस्या तिथि के बाद चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को पुण्यफल की प्राप्ति होती है और उसका मन हमेशा शांत रहता है. हिंदू मान्यता के अनुसार चंद्र दर्शन वाले दिन भगवान शिव की पूजा करने पर उनकी विशेष कृपा बरसती है और व्यक्ति तमाम तरह के दोष और तनाव से मुक्त होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














