मथुरा में बांकेबिहारी मंदिर में भाई दूज से दर्शन का समय बदला जाएगा

श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि दीप महोत्सव का प्रारंभ 23 अक्टूबर को होगा. सायंकाल भगवान श्री केशव देव के सम्मुख पुष्प-रंगोली के मध्य दीपदान का आयोजन होगा.

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भाई दूज यानी 27 अक्टूबर से वृन्दावन के प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन का समय बदल जाएगा.

वृन्दावन के प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भाई दूज (27 अक्टूबर) से दर्शन का समय बदला जाएगा। मंदिर प्रबंधन की ओर से शुक्रवार को यह जानकारी दी गयी. मंदिर के महाप्रबंधक मुनीश शर्मा एवं प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि सात अक्टूबर से मंदिर में दर्शन की शरदकालीन समय सारणी लागू हो जाएगी, जो होली के आगे तक चलेगी. उन्होंने बताया कि हर वर्ष दिवाली के बाद भाई दूज से ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुर जी के दर्शन के समय में बदलाव किया जाता है. इसी परंपरा का पालन करते हुए मंदिर के दर्शन के समय में परिवर्तन किया जा रहा है, जिसके अनुसार 27 अक्टूबर भाई दूज से ठाकुर बांके बिहारी के पट सुबह आठ बजकर 45 मिनट पर खुलेंगे. आठ बजकर 55 मिनट पर श्रृंगार आरती के दर्शन होंगे. दोपहर 12 बजे ठाकुरजी का राजभोग आएगा, साढ़े 12 बजे फिर से ठाकुरजी के पट खुलेंगे और इसके बाद दोपहर 12 बजकर 55 मिनट पर भक्तों को राजभोग आरती के दर्शन होंगे. 

उन्‍होंने बताया कि इसके बाद शाम को साढ़े चार बजे से पुन: ठाकुर जी के दर्शन होंगे. शाम साढ़े सात बजे शयन भोग आएगा। इसके बाद रात आठ बजे से ठाकुरजी का भक्तों को दर्शन मिलेगा. रात आठ बजकर 25 मिनट पर शयन भोग आरती के दर्शन होंगे. इसके अलावा मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर दिवाली एवं अन्नकूट आदि पर्वों को धूमधाम से मनाने की तैयारियां चल रही हैं. इसी बीच 25 अक्टूबर को पड़ने वाले सूर्यग्रहण के दिन जन्मस्थान के सभी मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे.

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श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि दीप महोत्सव का प्रारंभ 23 अक्टूबर को होगा. सायंकाल भगवान श्री केशव देव के सम्मुख पुष्प-रंगोली के मध्य दीपदान का आयोजन होगा। 24 अक्टूबर को श्री अन्नपूर्णेश्वरी महादेव मंदिर में दीपदान होगा. 

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मंदिर के प्रधान पूजाचार्य विन्ध्येश्वरी प्रसाद अवस्थी ने बताया कि 25 अक्टूबर सूर्यग्रहण होने के कारण प्रातः चार बजकर 29 मिनट पर ग्रहण के सूतक की शुरूआत हो जाएगी। इसलिए सूर्यग्रहण के मोक्ष होने तक सभी मंदिरों के पट बंद रहेंगे. इस बीच केवल जप-ध्यान के लिए श्रद्धालु मंदिर परिसर में प्रवेश कर सकेंगे.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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