दर्श अमावस्या पर क्यों की जाती है चंद्रमा की पूजा, जानिए इस दिन क्या करना चाहिए दान

अगहन माह की अमावस्या को दर्श अमावस्या भी कहते हैं. यह अमावस्या नदी स्नान, दान और पितरों के तर्पण के साथ चंद्रमा पूजन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा पूजन से हर मनोकामना पूर्ण होती है.

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र्श अमावस्या के दिन पितरों का पिंडदान करना चाहिए.

Date and Muhurat of Darsha Amavasya-2024: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. हर माह की अमावस्या तिथि पवित्र नदियों में स्नान, दान और पितरों के लिए तर्पण के लिए समर्पित होती है. मार्गशीर्ष या अगहन माह की अमावस्या को दर्श अमावस्या (Darsha Amavasya) भी कहते हैं. यह अमावस्या नदी स्नान, दान और पितरों के तर्पण के साथ चंद्रमा पूजन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा पूजन से हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद दान और पितरों का तर्पण करने से पितृदोषों से भी मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं कब है दर्श अमावस्या (Date of Darsha Amavasya), स्नान और दान का मुहूर्त और इस अमावस्या का महत्व ( Importance of Darsha Amavasya).

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कब है दर्श अमावस्या (Date of Darsha Amavasya)

हिंदू पंचांग के अनुसार अगहन यानी मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि  30 नवंबर शनिवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर शुरू होकर 1 दिसंबर रविवार को  को सुबह 11 बजकर 50 मिनट तक है. अहगन माह की दर्श अमावस्या  30 नवंबर शनिवार को माना जाएगा.

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दर्श अमावस्या को मुहूर्त (Muhurat on Darsha Amavasya)

दर्श अमावस्या के दिन यानी 30 नवंबर शनिवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से 1 दिसंबर रविवार को सुबह 11 बजे तक स्नान और दान के लिए शुभ समय है. 30 नवंबर को पूरे दिन पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध का उत्तम समय है. दर्श अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त और अभिजीत दोनों ही मुहूर्त स्नान-दान के लिए उत्तम हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद पितरों का तर्पण किया जा सकता है. जो लोग नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं वे घर में गंगाजल में स्नान के बाद तर्पण विधि कर सकते हैं.

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दान की सामग्री

दर्श मावस्या को तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गरम कपड़े, मिठाई, जूते चप्पल, काले रंग के वस्त्र, सोना, दाल, घी, भूमि, आटा, फल्, आंवला और शक्कर का दान बहुत उत्तम माना जाता है.

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दर्श अमावस्या का महत्व (Importance of Darsha Amavasya)

ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है. दर्श अमावस्या को चंद्रमा पूजन से मानसिक परेशानियों से राहत प्राप्त हो सेती हैम् इस दिन व्रत रखने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं.  जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो उन्हें इस दिन जरूर चंद्र देव की पूजा के बाद अर्घ्य देना चाहिए. ऐसे भी अमावस्या की तिथि को स्नान, दान व पितरों के लिए तर्पण के लिए समर्पित माना जाता है. अगहन माह भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित माह है और इस माह की अमावस्या तिथि भी बहुत महत्वपूर्ण है. नदी में स्नान के बाद लोग अपने पूर्वजों को याद कर विधि विधान से पिंडदान और तर्पण करते हैं. मान्यता है कि अगहन माह की अमावस्या को नदी स्नान, दान और तर्पण करने से पितृदोष से मुक्ति के साथ साथ जीवन में दुख और परेशानियां भी कम होती है.

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दर्श अमावस्या के दिन रखें ध्यान (Niyam of Darsha Amavasya )

- दर्श  अमावस्या के दिन पर सुबह जल्दी उठना चाहिए और नदी स्नान करना चाहिए. अगर नदी स्नान संभव नहीं हो तो गंगाजल से स्नान करना चाहिए.

- दर्श अमावस्या के दिन पितरों का पिंडदान करना चाहिए.

- दर्श अमावस्या के दिन भगवान श्रीकृष्ण, भगवान शिव और चंद्र देव की विधि विधान से पूजा करना चाहिए.

- दर्श अमावस्या को काले तिल का दान बहुत फलदाई माना जाता है. करना चाहिए.

- दर्श अमावस्या के दिन सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए. इस दिन झूठ बोलने, ईर्ष्या करने और लालच से बचना चाहिए.

- दर्श अमावस्या के दिन भोजन, गर्म कपड़े, तिल, गुड़, घी, का दान करना चाहिए.

- दर्श अमावस्या के दिन ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन करना चाहिए.

-दर्श अमावस्या के दिन तुलसी पत्र, पीपल और बेलपत्र तोड़ने से बचना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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