Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन को देवी कूष्माण्डा को समर्पित किया गया है. माना जाता है कि दुर्गा मां (Durga Maa) के चौथे स्वरूप कूष्माण्डा मां की सच्चे मन से पूजा आराधना करने पर हर मनोकामना पूरी हो जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी कूष्माण्डा ही थीं जिन्होंने सृष्टि की रचना के उपरांत संसार को अंधकार से मुक्त कराया था जिस चलते उन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है. साथ ही, कूष्माण्डा माता को आठ भुजा धारी भी माना जाता और इसलिए उनका नाम अष्टभुजा भी है. मान्यतानुसार माता कूष्माण्डा (Mata Kushmanda) के आठ हाथों में धनुष, चक्र, कमंडल, कलश, गदा, बाण, पुष्प और जप माला है.
मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भी इस अवसर पर सभी को Koo App के जरिए बधाई दी है.
नवरात्रि का चौथा दिन | Fouth Day of Navratri
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी कूष्माण्डा सूर्यमण्डल के भीतर रहती हैं और सूर्यलोक में रहने की क्षमता रखने वाली एकमात्र देवी भी हैं. इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि सूर्यलोक में रहने के चलते देवी कूष्माण्डा (Devi Kushmanda) की कांति सूर्य जैसी ही है और वे सभी दिशाओं को आलोकित भी करती हैं.
मां कूष्माण्डा को प्रसन्न करने के लिए नीले रंग के वस्त्र धारण करने की विशेष मान्यता है. भक्त इस दिन पूरे चाव से इस रंग के कपड़े पहनकर माता की पूजा करते हैं.
नवरात्रि (Navratri) के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा करने के लिए श्रद्धाभाव से नहा-धोकर चौकी सजाई जाती है. इसके बाद जिस तरह अन्य देवियों की पूजा होती है वैसे ही मां कूष्माण्डा (Maa Kushmanda) को भी पूजा जाता है. कूष्माण्डा माता को भोग में मालपूए चढ़ाने की मान्यता है. कहते हैं कि मां कूष्माण्डा को प्रसन्न करना बेहद आसान है, वे कम से कम सेवा से भी खुश हो जाती हैं. वहीं, उनके मंत्र (Kushmanda Mantra) का जाप करना भी शुभ माना जाता है.
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च | दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ||
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)