Chaitra Navratri 2021, Day 8: महागौरी को समर्पित है अष्‍टमी का दिन, जानिए पूजा विधि और महत्व

Chaitra Navratri 2021, Day 8: नवरात्रि के आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी या महाअष्टमी भी कहा जाता है. इस बार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 20 अप्रैल 2021 के दिन है.

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Chaitra Navratri 2021: अष्‍टमी के दिन होती है महागौरी की आराधना.
नई दिल्ली:

Durga Ashtami 2021: नवरात्रि के आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी या महाअष्टमी भी कहा जाता है. इस बार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 20 अप्रैल 2021 के दिन यानी आज है. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्‍वरूप महागौरी की पूजा करने का विधान है. महागौरी की पूजा अत्‍यंत कल्‍याणकारी और मंगलकारी होती है. मान्‍यता है कि जो भक्त सच्‍चे मन से महागौरी की पूजा करते हैं को उनके सभी संचित पाप नष्‍ट हो जाते हैं और उन्हें अलौकिक शक्तियां प्राप्‍त होती हैं. महागौरी की पूजा करने से मन शांत और शुद्ध होता है. नकारात्मक विचारों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है. महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाता है. इस दिन ब्राह्मण को भी नारियल दान में देने का विधान है. मान्‍यता है कि मां को नारियल का भोग लगाने से नि:संतानों की मनोकामना पूरी होती है.

अष्टमी पर होता है कन्या पूजन
अष्टमी पर महागौरी की पूजा के बाद कन्‍या पूजन भी किया जाता है. कन्‍या पूजन में घर में नौ कुंवारी कन्‍याओं को बुलाकर उनकी पूजा की जाती है. इन कन्‍याओं की पूजा माता रानी के नौ स्‍वरूप मानकर की जाती है. उन्हें हलवा-पूड़ी और चना खिलाते हैं. इसके साथ ही कंजकों को खाने के बाद तोहफे और पैर छूकर विदा करते हैं. 

महागौरी का स्‍वरूप
बैल पर सवार चार भुजाओं वाली मां का नाम महागौरी है. धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार महागौरी का वर्ण एकदम सफेद है. महागौरी के सभी आभूषण और वस्‍त्र सफेद रंग के हैं, इसलिए उन्‍हें श्‍वेताम्‍बरधरा भी कहा जाता है.  इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू होता है. दाहिना हाथ अभय मुद्रा और बायां हाथ वर-मुद्रा में होता है. गले में सफेद पुष्पों की माला और सफेद साड़ी ही मां महागौरी का श्रृंगार है. इसके अलावा सिर पर मुकूट चारों हाथों में चूड़ियां और ऊपर के दोनों हाथों में बाजूबंद ही मां के जेवर हैं.

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महागौरी की पूजा विधि 
- सबसे पहले अष्‍टमी के दिन स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पहनें. 
- अब लकड़ी की चौकी या घर के मंदिर में महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्‍थापित करें. 
- अब हाथ में फूल लेकर मां का ध्‍यान करें. 
- अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं. 
- इसके बाद मां को फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें. 
- अब मां की आरती उतारें. 
- अष्‍टमी के दिन कन्‍या पूजन श्रेष्‍ठ माना जाता है. 
- नौ कन्‍याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित करें. उन्‍हें खाना खिलाएं और जय माता दी के जयकारे लगाएं. 
- कन्‍याओं और बाल को यथाशक्ति भेंट और उपहार दें. 
- अब उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और उन्‍हें विदा करें. 

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