Bhishma Panchak 2025 Vrat Rules: कार्तिक मास के शुक्लपक्ष के अंतिम पांच दिन अत्यंत ही पुण्यदायी माने गये हैं. इसमें जहां देवउठनी एकादशी, वैकुंठ चतुर्दशी और देव दीपावली जैसे पावन पर्व आते हैं, वहीं इसमें देवउठनी एकादशी के दिन से भीष्म पंचक या फिर कहें विष्णु पंचक की शुरुआत होती है. पांच दिनों का यह व्रत कार्तिक मास की पूर्णिमा को जाकर समाप्त होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार गंगापुत्र भीष्म ने अपने प्राण त्यागने से पहले इन पांच दिनों तक व्रत किया था.
सनातन परंपरा में भीष्म पंचक का इतना अधिक धार्मिक महत्व क्यों माना गया हैं और इन पांच दिनों में क्या करने पर पुण्यफल की प्राप्ति होती है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
भीष्म पंचक में क्या करना चाहिए
- भीष्म पंचक का पुण्यफल पाने के लिए श्री हरि की पूजा में अलग-अलग दिन अलग-अलक चीजें अर्पित करनी चाहिए. जैसे पहले दिन कमल का फूल, दूसरे दिन जंघा पर बिल्व पत्र, तीसरे दिन नाभि पर इत्र, चौथे दिन कंधे पर गुड़हल का फूल और और पांचवें दिन उनके सिर पर मालती का पुष्प अर्पित करना चाहिए.
- भीष्म पंचक में प्रतिदिन स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान श्री विष्णु या फिर उनके पूर्णावतार माने जाने वाले भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा और उनके मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' या फिर 'ॐ विष्णवे नमः' का अधिक से अधिक जप करना चाहिए.
- भीष्म पंचक के पहले दिन जो शुद्ध घी का दीया जलाया जाता है, उसमें प्रतिदिन घी डालते रहना चाहिए ताकि वह बुझने न पाए.
- हिंदू मान्यता के अनुसार भीष्म पंचक के इन पांच दिनों में गंगा नदी में स्नान करना बेहद शुभ माना गया है. यदि आप ऐसा कर सकें तो बहुत उत्तम है, लेकिन यदि न संभव हो पाए तो प्रतिदिन स्नान करने वाले पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं और गंगा जी का स्मरण करें.
- भीष्म पंचक के दौरान विधि-विधान से व्रत रखते हुए व्यक्ति को गीता और श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. मान्यता है कि इस उपाय को करने पर श्री हरि और श्री कृष्ण भगवान की विशेष्ज्ञ कृपा बरसती है.
भीष्म पंचक में भूलकर न करें ये काम
- हिंदू मान्यता के अनुसार भीष्म पंचक के दौरान व्यक्ति को तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.
- भीष्म पंचक में दूध और उससे बनी चीजों को भी खाने की मनाही होती है. इसलिए ऐसी चीजों का भूलकर भी सेवन न करें.
- भीष्म पंचक के दौरान व्यक्ति को पूरे पांच दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए, स्त्री प्रसंग से दूर रहना चाहिए.
- भीष्म पंचक के दौरान व्यक्ति को किसी दूसरे के प्रति न तो बुरा विचार नहीं लाना चाहिए और न ही किसी को बुरे शब्द कहना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














