Pradosh Vrat 2022 : इस बार खास साध्य और द्विपुष्कर योग में है भौम प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Bhaum Pradosh Vrat 2022 : चैत्र माह का प्रदोष व्रत आगामी 29 मार्च, मंगलवार को पड़ रहा है, जिसे भौम प्रदोष कहा जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार इस बार का प्रदोष व्रत खास साध्य और त्रिपुष्कर योग (Bhaum Pradosh Vrat 2022) में है.

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Pradosh Vrat : आइए भौम प्रदोष व्रत के मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जान लेते हैं.

Bhaum Pradosh Vrat 2022 Muhurat : भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए हर माह आने वाला प्रदोष व्रत बेहद शुभ माना जाता है. कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महिला और पुरुष प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) करते हैं, माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं.  चैत्र माह का प्रदोष व्रत आज 29 मार्च, मंगलवार के दिन है, जिसे भौम प्रदोष कहा जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार इस बार का प्रदोष व्रत खास साध्य और त्रिपुष्कर योग (Bhaum Pradosh Vrat 2022) में है.
माना जा रहा है कि 29 मार्च यानी आज प्रदोष के दिन साध्य योग दोपहर के 3:14 बजे तक है. वहीं द्विपुष्कर योग 29 मार्च को सुबह 06:15 से शुरू हो रहा है, जो सुबह 11:28 बजे समाप्त होगा. इन खास और अहम योग को मांगलिक काम के लिए शुभ माना जाता है. आइए भौम प्रदोष व्रत के मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जान लेते हैं.

भौम प्रदोष व्रत 2022 शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल में 29 मार्च को पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 6:37 बजे से शुरू हो रहा है और इस दिन रात 8:57 बजे तक ये मुहूर्त रहेगा. इस समय भगवान शिव शंभू की पूजा अर्चना और अभिषेक करने को अति शुभ माना जाता है. माना जाता है कि भोलेनाथ को पसंद सभी चीजों को अर्पित कर पूजा करने से वो भक्त को आशीर्वाद देते हैं.

चंद्रमा ने की थी शिवजी की आराधना

माना जाता है कि चंद्र देव जब कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए थे, तब उन्होंने भगवान शंभू की पूजा की थी. भोलेनाथ की ही कृपा से उनका दोष दूर हो गया. तभी से प्रदोष व्रत रखा जाने लगा, ऐसी मान्यता है.


प्रदोष व्रत-पूजा विधि
प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प कर लें. समय के अभाव में आप सुबह ही पूजा करना चाहते हैं, तो कर लें. हालांकि प्रदोष व्रत की पूजा शाम के वक्त की जाती है. प्रदोष व्रत कर इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ का गंगाजल और दूध से अभिषेक करना चाहिए,  फिर उन्हें चंदन का लेप लगाना शुभ माना जाता है. इसके बाद भांग, धतूरा, अक्षत, बेलपत्र, शक्कर, शहद, फल, फूल, मिठाई और वस्त्र चढ़ाएं जाते हैं.

ओम नमः शिवाय का करें जाप
पूजा करते समय और सभी चीजों को अर्पित करते हुए आप ओम नमः: शिवाय मंत्र का उच्चारण जरूर करें. इसके बाद आसन बिछा कर बैठें और शिव चालीसा का पाठ करें. अब प्रदोष व्रत कथा पढ़ें या सुनें. कथा के बाद भोलेनाथ शिव शंकर की आरती करें. माना जाता है कि पूरे विधि के साथ पूजा करने से भगवान शिव शंभू भक्तों का कल्याण करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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