हमारे देश में त्योहारों को मनाने के एक अनोखी परंपरा है. हर एक त्योहार को एक अलग तरीके से और बड़ी ही श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है. त्योहारों को लोग अपनी-अपनी तरह से मनाना पसंद करते हैं, जिसका अलग महत्व है. ऐसे ही त्योहारों में से एक है बसंत पंचमी का पर्व, जिसे मुख्य रूप से उत्तर भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. बसंत पंचमी (Basant Panchami) हर वर्ष माघ महीने (Magh Month) में शुक्ल पक्ष की पंचमी (Panchami) तिथि को बड़े ही उल्लास से मनाया जाता है. कहते हैं कि बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन सरस्वती (Saraswati) पूजा की जाती है.
माना जाता है कि इस दिन से ठंड धीरे-धीरे कम होने लगती है और बसंत ऋतु (Basant Panchami) का आगमन होता है. इसके साथ ही खेतों में पीली सरसों लहलहा उठती है. हर तरफ मौसम सुहावना होने लगता है. पेड़-पौधों में फिर से नई कलियां खिल उठती हैं. नाना प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से सज जाती है. पारंपरिक रूप से यह पर्व शीत ऋतु के जाने और खुशनुमा मौसम आने के रूप में भी मानया जाता है, जिससे अनके रीति-रिवाज और धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं.
बसंत पंचमी से जुड़े कुछ रोचक रिवाज | Unique Rituals Related To Basant Panchami
बसंत पंचमी के दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने देवी सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन आपकी आराधना की जाएगी.
पारंपरिक रूप से बसंत पंचमी का यह पर्व बच्चों की शिक्षा के लिए काफी शुभ माना गया है. इस दिन शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित लोग और खासतौर पर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का श्री गणेश किया जाता है. कई लोग आज के दिन से ही शुभ बेला पर बच्चे को प्रथमाक्षर यानी पहला शब्द लिखना और पढ़ना सिखाते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आंध्र प्रदेश में बसंत पंचमी को विद्यारम्भ पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मां सरस्वती जी के मंदिरों में विशेष अनुष्ठान और पूजा-पाठ किया जाता है.
बसंत पंचमी के दिन भारत के अलग-अलग हिस्सों में पतंगबाजी भी की जाती है. कहते हैं कि बसंत पंचमी से मौसम सुहावना हो जात है. इस दिन लोग मंद-मंद हवा के बीच पतंगबाजी से अपनी खुशी का इजहार करते हैं.
हिन्दू परंपरा में बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के परिधान पहनना शुभ माना जाता है. पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा और सौम्य उष्मा का प्रतीक माना जाता है. इस रंग को बसंती रंग भी कहा जाता है. इस दिन गांवों-कस्बों में कुछ पुरुष पीला पाग (पगड़ी) पहनते है. वहीं कुछ महिलाएं भी पीले वस्त्र धारण करती हैं. भारत में विवाह, मुंडन आदि के निमंत्रण पत्रों और यहां तक की पूजा के कपड़े भी आपको पीले रंग में देखने को मिल ही जाएंगे, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीले रंग का महत्व हिंदू धर्म में कितना है.
मान्यता है कि भारत का सबसे बड़ा पर्व होली की शुरुआत भी बसंत पंचमी के दिन से ही हो जाती है. इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल-अबीर लगाते हैं. होली के होलिका दहन के लिए इस दिन से ही लोग लकड़ी को सार्वजनिक स्थान पर रखना शुरू कर देते हैं, जो होली के एक दिन पहले एक अच्छा मुहूर्त देख कर जलाई जाती है.
बसंत पंचमी के दिन कुछ खास मिठाइयां और पकवान बनाये जाते हैं. इस दिन बंगाल में बूंदी के लड्डू और मीठा भात चढ़ाया जाता है. वहीं, बिहार में मालपुआ, खीर और बूंदिया (बूंदी) चढ़ाई जाती है. इसी तरह पंजाब में मक्के की रोटी के साथ सरसों साग और मीठा चावल चढ़ाया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)