Holika Dahan: यूपी के इस गांव में नहीं होता है होलिका दहन, इसके पीछे छिपी है एक अनोखी वजह

Holika Dahan: यूपी के इस गांव में होलिका दहन नहीं किया जाता. हालांकि लोग होली धूमधाम से मनाते हैं. होलिका न जलाने के पीछे है मंदिर से जुड़ी एक किंवदंति

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चलिए आज आपको बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के किस गांव में होलिका दहन नहीं होता है.

Holika Dahan is Prohibited in This Village: होली का त्योहार आ रहा है. देश भर में होली की धूम मची है. होलिका दहन (holika dahan parampara) को लेकर कई जगह तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. होलिका दहन पर जगह जगह लकड़ी और उपले लगाकर होली जलाई जाती है. यूं तो होलिका दहन का अपना धार्मिक महत्व है लेकिन हमारे ही देश में एक गांव ऐसा है जहां होलिका दहन (This Village does not celebrate holika dahan) नहीं किया जाता है. आप भी सोच रहे होंगे कि देश में ऐसा कौन सा इलाका है जहां होलिका दहन नहीं होता है. लेकिन ये सच है कि यूपी के इस गांव में होली नहीं जलाई जाती है और इसके पीछे एक अनोखी वजह है, जो महाभारत काल से जुड़ी हुई है. होलिका दहन के दिन इस गांव के लोग आस पास के गांवों में होलिका दहन करने जाते हैं. इसके अलावा ये गांव अपने खास शिव मंदिर (West Direction Shiv mandir) को लेकर भी देश और दुनिया भर में मशहूर है. चलिए आज आपको बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के किस गांव में होलिका दहन नहीं होता है और क्यों. साथ ही जानेंगे ऐसा शिव मंदिर जो अपनी दिशा को लेकर मशहूर है.

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यूपी के बरसी गांव में नहीं होता है होलिका दहन  (Barsi Village do not Celebrate Holika Dahan)

यूपी के सहारनपुर जिले में बसे इस गांव का नाम है बरसी. बरसी गांव में महाभारत काल के जमाने से होलिका दहन नहीं किया जाता है. यहां होलिका दहन के दिन गांव में किसी को भी होली जलाने का हक नहीं हैं. गांव में होलिका दहन नहीं होता, इसलिए गांव के लोग होलिका दहन के लिए आस पास के गांवों में जाते हैं. हालांकि यहां अगले दिन होली का त्योहार बहुत ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है. बरसी गांव में होलिका दहन न करने के पीछे एक अनोखी वजह है. दरअसल इस गांव में एकमात्र पश्चिम मुखी शिव मंदिर स्थित है. इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है, जो अपने आप प्रकट हुआ था. कहा जाता है कि आज से करीब पांच हजार साल पहले इस मंदिर को कौरवों ने बनवाया था.लेकिन जब महाभारत युद्ध हुआ तो कुरुक्षेत्र जाते समय पांडव पुत्र भीम ने इसके मुख्य द्वार में गदा फंसा दी. गदा फंसाकर भीम ने इस शिव मंदिर का द्वार पूर्व से पश्चिम की ओर घुमा दिया था. इस वजह से यह शिव मंदिर देश का एकमात्र पश्चिम मुखी शिव मंदिर बन गया. हालांकि आमतौर पर शिव मंदिर में शिवलिंग पूर्व मुखी होते हैं.

इस शिवलिंग के बारे में ये भी मान्यता है कि यहां साक्षात शिव निवास करते हैं. कहा जाता है कि अगर इस गांव में होलिका दहन हुआ तो होलिका दहन की अग्नि से भगवान शिव के पांव झुलस सकते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए लगभग 5000 सालों से यहां होलिका दहन नहीं किया जाता है.

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गांव का नाम खुद भगवान श्रीकृष्ण ने रखा था (barsi village name given by Lord Krishna)

इस गांव का नाम बरसी है. इसके नामकरण के पीछे भी एक अनोखी कहानी है. कहा जाता है कि जब महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण यहां आए तो उन्हें ये गांव बड़ा ही प्यारा लगा. श्रीकृष्ण ने कुछ दिन इस गांव में निवास किया और कहा कि ये गांव बृजधाम की तरह पवित्र है.

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इस तरह इस गांव का नाम बरसी पड़ गया. यहां हर साल धुलंडी की काफी धूम मचती है. पूरे गांव में जमकर होली खेली जाती है.

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पश्चिम मुखी शिव मंदिर में हर साल लगता है बड़ा मेला  (Shiv mandir me lagta hai har saal mela)

बरसी गांव का शिव मंदिर अपनी दिशा को लेकर देश और दुनिया में मशहूर है. यहां हर साल शिवरात्रि पर बड़ा मेला लगता है. इस मेले में यूपी के साथ साथ उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान सहित कई राज्यों से श्रद्धालु जलाभिषेक करने आते हैं. यहां आकर लोग भगवान शिव का आशीर्वाद लेते हैं और मनोकामना मांगते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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