आपके भी पूजा घर में है राम परिवार की फोटो या मूर्ति, तो जानें इसका क्या है महत्व

Ram Pariwar : घर के पूजा मंदिर में अक्सर राम दरबार को स्थापित किया जाता है. इसके पीछे भी बहुत बड़ा महत्व है. आइए आपको बताते हैं इससे जुड़ी जानकारी.

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Ram Darbar in Home: जानें आखिर क्यों की जाती हैं राम दरबार की पूजा.

अंकित श्वेताभ: श्रीमद् भागवत गीता के बाद हिंदू धर्म में रामायण (Ramayan) को सबसे जरूरी ग्रंथ माना गया है. मान्यताओं के अनुसार रामायण को धार्मिक ग्रंथ से ज्यादा एक जीवन ग्रंथ के रूप में देखा जाता है. प्रभु श्री राम (Shree Ram) की पूजा के अलावा केवल रामायण पाठ करने से ही काफी सारी परेशानियां दूर होती हैं. इससे घर - परिवार में नेगेटिविटी आसपास नहीं भटकती है. घर के अंदर श्री राम की पूजा के लिए राम परिवार (Ram Pariwar in Home) का बहुत महत्व बताया गया है. आइए आज आपको बताते हैं कि राम दरबार का क्या महत्व (Importance of Ram Darbar) है और इसमें किन सदस्यों को शामिल किया जाता हैं.

राम दरबार के मुख्य सदस्य | Ram Darbar Members

राम दरबार या राम परिवार की चर्चा रामायण में भी देखने को मिलती है. प्रभु श्री राम की व्यक्तिगत पूजा से ज्यादा राम दरबार की पूजा करने से लाभ होता है. राम दरबार के मुख्य सदस्यों के रूप में भगवान श्री राम के साथ उनकी पत्नी सीता मईया, भाई लक्ष्मण और राम भक्त हनुमान जी रहते हैं. ज्यादातर श्री राम की पूजा राम दरबार के साथ ही की जाती है. मान्यता के अनुसार इससे आपको अधिक पुण्य मिल सकता है.

घर के मंदिर में राम दरबार का महत्व | Importance of Ram Darbar

घरों के मंदिर में भी प्रभु श्री राम की पूजा राम दरबार के साथ की जाती है. मान्यताओं के अनुसार जिस घर में राम दरबार की नियमित रूप से पूजा होती है वहां सौभाग्य और सुख - समृद्धि हमेशा बनी रहती है और नेगेटिविटी उसे घर - परिवार से हमेशा दूर रहती हैं. साथ ही इससे एक ही जगह पर एक से ज्यादा देवी - देवताओं का आशीर्वाद मिल जाता है. इससे आपकी सारी परेशानियां दूर हो सकती हैं.

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ऐसे करें राम परिवार की पूजा | Ram Darbar Puja Vidhi

  • पूजा करने से पहले पूरे राम परिवार को गंगाजल की मदद से साफ कर लें. अगर आपके घर में राम दरबार की फोटो है तो उसे गंगाजल की मदद से पोंछ लें.

  • इसके बाद राम दरबार को पीले रंग का वस्त्र चढ़ाएं. 

  • फिर प्रभु श्री राम को फूल, अक्षत और रोली जैसी चीज चढ़ाएं.

  • अंत में दरबार के सामने धूपबत्ती जलाएं और आरती करने के बाद भगवान को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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