एस्ट्रो एक्सपर्ट जय मदान ने बताया श्रवण मास में भोलेनाथ की 2 चीजों को घर में रखने का महत्व, जीवन में आ जाएगी खुशहाली

Shravan Month: सावन का महीना साल के सबसे शुभ महीनों में से एक माना जाता है. जानिए इस माह कैसे करें पूजा जिससे मान्यतानुसार भोलेनाथ की मिलती है कृपा. 

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Jai Madaan से जानिए किस तरह सावन के महीने में भगवान शिव से जुड़ी चीजें घर में ला सकती हैं बरकत. 

Sawan 2023: सावन के महीने को श्रावण और श्रवण मास भी कहा जाता है. श्रवण का अर्थ होता है सुनना. मान्यतानुसार श्रवण मास में सुनकर धर्म को समझा जाता है. भक्तिभाव से परिपूर्ण इस माह में भोलेनाथ (Lord Shiva) की विशेष पूजा-आराधना की जाती है. माना जाता है कि जो भक्त भगवान शिव का पूजन करते हैं उन्हें भोलेनाथ की कृपा मिलती है और जीवन खुशहाल बनता है. एस्ट्रो एक्सपर्ट जय मदान (Jai Madaan) भी इंस्टाग्राम पर भोलेनाथ से जुड़े कुछ ऐसे ही उपाय बता रही हैं जो जीवन को खुशहाल बनाने में मदद करेंगे. 

जय मदान बताती हैं कि श्रवण मास में भोलेनाथ के 2 ऐसे चिन्ह हैं जो अपने जीवन में शामिल किए जा सकते हैं. वे बताती हैं कि श्रवण मास का अर्थ है सुनना और यह एक नक्षत्र का भी नाम है. श्रवण मास में भगवान की भक्ति सुनकर अपनी मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाया जाता है. जय मदान के अनुसार, भगवान शिव के पास 2 जादुई चीजे होती हैं जिन्हें जीवन में इस्तेमाल किया जा सकता है. एक है भोलेनाथ के माथे पर चमकता अर्धचंद्र और दूसरा है उनके हाथों का डमरू. 

डमरू (Damroo) नकारात्मक ऊर्जा को हटाने के लिए होता है. जय मदान के अनुसार यह यिन और यांग को बैलेंस करता है. यिन और यांग का अर्थ होता है कि बुराई में भी अच्छाई और अच्छाई में भी बुराई होती है जिसे बैलेंस करना आवश्यक है. घर में सभी चीजों को बैलेंस करने के लिए डमरू रखा जा सकता है. इसके अतिरिक्त सावन (Sawan) में सुबह उठकर डमरू बजाना भी बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि यह सुनने का महीना है, श्रवण मास है, इसीलिए सुबह डमरू सुना जा सकता है. 

जय मदान कहती हैं कि आपने देखा होगा कि जब बच्चे छोटे होते हैं तो उन्हें गले में अर्धचंद्र (Crescent Moon) पहनाया जाता है. जय मदान के अनुसार चंद्रमा उन लोगों को पहनाया जा सकता है जिन्हें डिप्रेशन और एंजाइटी जैसी दिक्कते हैं. चंद्रमा को मस्तिष्क बैलेंस करने वाला सबसे पावरफुल या कहें शक्तिशाली चिन्ह माना जाता है. इसीलिए अगर आपको भी ऐसी ही कोई परेशानी है तो हाथ पर दूज का चंद्रमा यानी अर्धचंद्र का निशान बनाया जा सकता है, गले में या फिर रिंग की तरह भी इसे पहन सकते हैं. 

आखिर में जय मदान कहती हैं कि हर देवी-देवता को कोई ना कोई प्रतीक (Symbol) होता है. अगर आपको इन चिन्हों को इस्तेमाल करना आ जाए तो जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है, बदला जा सकता है.  

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 (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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