Ashadha Amavasya 2024: हिंदू धर्म में पितरों का बहुत महत्व है. अमावस्या की तिथि पितरों के स्मरण और उनके लिए तर्पण करने का दिन होता है. आषाढ़ अमावस्या (Ashadha Aamavasya) का विशेष महत्व होता है और इस दिन स्नान, दान और पितरों के लिए किया गया तर्पण बहुत शुभ माना जाता है. माना जाता है कि जिन लोगों पर पितरों को आशीर्वाद रहता है उनके जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है और परेशानियां कम होती है. आइए जानते हैं आषाढ़ अमावस्या की तिथि (Date of Ashadha Aamavasya), योग और इस दिन किए जाने वाले विशेष उपाय (Upay of Ashadha Aamavasya).
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हर माह के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवी तिथि अमावस्या की तिथि होती है. इस दिन चंद्रदेव नजर नहीं आते हैं. आषाढ़ माह की अमावस्या की तिथि जुलाई माह के 5 तारीख को सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन सुबह 4 बजकर 26 मिनट तक रहेगी. 6 जुलाई को अमावस्या की तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो रही है इसलिए आषाढ़ अमावस्या 5 जुलाईको मानी जाएगी.
इस वर्ष आषाढ़ अमावस्या ध्रुव योग और आर्द्रा नक्षत्र में है. आषाढ़ अमावस्या यानी 5 जुलाई के प्रात:काल से लेकर 6 जुलाई को प्रात: काल 3 बजकर 49 तक धुव्र योग है और 5 जुलाई के प्रात:काल से लेकर 6 जुलाई को 4 बजकर 6 मिनट तक आर्द्रा नक्षत्र है. आषाढ़ अमावस्या को सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. यह 6 जुलाई को प्रात: काल 4 बजकर 6 मिनट से 5 बजकर 29 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग योग है. अमावस्या यह योग 20 मिनट के लए है. सर्वार्थ सिद्धि योग किए गए कार्य सफल होते हैं.
आषाढ़ अमावस्या के विशेष उपाय (Upay of Ashadha Aamavasya)आषाढ़ अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और क्षमता के अनुसार अनाज, वस्त्र, फल और बर्तन का दान करना चाहिए. इससे पुण्य प्राप्त होता है और सुख समृद्धि बढ़ती है. इसके साथ ही इस दिन प्रात:काल में स्नान के करने के बाद पितरों का स्मरण करने के बाद कुश से उन्हें जल, काले तिल, सफेद फूल से तर्पण करना चाहिए. तर्पण से तृत्त पितरों के आशीर्वाद धन, दौलत, सुख, समृद्धि में वृद्धि होती है.