Ashadha Amavasya 2022: आषाढ़ अमावस्या आज, सुख-समृद्धि के लिए कर सकते हैं ये 7 खास उपाय

Ashadha Amavasya 2022: आषाढ़ मास की अमावस्या 29 जून को यानी आज है. मान्यता है कि इस दिन कुछ खास उपाय करने से जीवन में खुशहाली आती है.

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Ashadha Amavasya 2022: आषाढ़ अमावस्या का स्नान-दान 29 जून को यानी आज किया जाएगा.

Ashadha Amavasya 2022: अमावस्या तिथि को हिंदू धर्म में खास महत्व दिया गया है. मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान करने से कई जन्में के पाप धुल जाते हैं. इसके अलावा इस दिन पितरों (Pitra) के निमित्त तर्पण (Tarpan) और श्राद्ध किया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन पितरों के लिए किए गए तर्पण और श्राद्ध से पितर प्रसन्न होते है. साथ ही पितृ दोष के से मुक्ति मिलती है. आषाढ़ मास की अमावस्या (Ashadha Amavasya) 30 जून बुधवार को पड़ रही है. पंचांग के मुताबिक अमावस्या (Amavasya June 2022) तिथि की शुरुआत 28 जून को सुबह 5 बजकर 52 मिनट से हो रही है. वहीं इस तिथि का समापन 29 जून को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर होगा. ऐसे में 29 जून को सुबह स्नान और दान किया जाएगा. आषाढ़ अमावस्या (Ashadha Amavasya 2022 Date) के दिन सुख-समृद्धि के लिए कुछ खास उपाय किए जाते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में. 


 

आषाढ़ अमावस्या के दिन किए जाने वाले 7 उपाय | Ashadha Amavasya 2022 Upay

आषाढ़ अमावस्या के दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में दीपक जलाना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन गाय के घी में लाल धागे का इस्तेमाल करना अत्यंत शुभ है. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. 

आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल की पूजा का विधान है. मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है. इस दिन पीपल में जल, फूल, धूप, दीप इत्यादि अर्पित करने से घर-परिवार खुशहाल रहता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है. 

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कहा जाता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने घर में आर्थिक संवृद्धि आती है. जिससे जीवन खुशहाल रहता है. 

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आषाढ़ अमावस्या के दिन कुत्ते को रोटी में तेल मिलाकर खिलने से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव खत्म हो जाता है. साथ ही विरोधी और शत्रु शांत रहते हैं. 

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धार्मिक मान्यता के अनुसार, अषाढ़ अमावस्या के दिन दीपक के दान का विशेष महत्व है. इस दिन बहते जल में दीप और फूल प्रवाहित करने से सुख-समृद्धि के मार्ग खुलते हैं. 

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आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह स्नान के बाद पितरों के निमित्त जल तर्पण करने की परंपरा है. इसलिए इस दिन जल में काले तिल, अक्षत मिलाकर तर्पण किया जाता है. इसके बाद ब्राह्मणों भोजन कराया जाता है. इसके बाद उन्हें दान दिया जाता है. इसके अलावा इस दिन कौआ, गाय, कुत्ता को भी भोजन का कुछ अंश देने के पितर प्रसन्न होते हैं. जिससे परिवार में सुख-शांति बरकरार रहती है. साथी ही पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

आषाढ़ अमावस्या के दिन को कृषि उपकरणों की पूजा का विधान है. मान्यता है कि ऐसा करने से फसल का उत्पादन अच्छा होता है, जिससे घर के धन-धान्य में वृद्धि ​होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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