Annapurna Jayanti 2025: सनातन परंपरा में मां अन्नपूर्णा को अन्न की देवी के रूप में पूजा जाता है, जिनकी पूजा करने पर साधक को कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है. मां अन्नपूर्णा की पूजा के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा का दिन अत्यंत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है क्योंकि इसी दिन उनकी जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि इसी दिन मां अन्नपूर्णा ने पृथ्वी अन्न के अकाल को दूर करके लोगों को सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद देने के लिए अवतार लिया था. आइए जानते हैं कि आज मां अन्नपूर्णा देवी की पूजा कब और कैसे करें, ताकि पूरे साल उनकी कृपा हम पर बनी रहे.
कैसे करें मां अन्नपूर्णा की पूजा?
आज अन्नपूर्णा जयंती पर पूजा करने के लिए सबसे पहले तन और मन से पवित्र हो जाएं फिर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद किचन को साफ करके वहां पर सबस पहले गंगा जल छिड़कें और वहां पर एक चौकी में लाल रंग का आसन बिछाएं और उस सप्तधान की ढेरी बनाई और उस पर मां अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें. मां अन्नपूर्णा के चित्र के पास एक सिक्का और हल्दी की गांठ रखें.
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इसके बाद देवी के पास एक कलश में आम या अशोक के पत्ते के साथ श्रीफल रखें. इसके बाद माता को रोली-चंदन आदि का तिलक लगाकर पुष्प आदि अर्पित करें. फिर दीप जलाकर अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ या फिर उनके मंत्र ॐ ह्रीं माहेश्वरी अन्नपूर्णे नमः" का कम से कम 11 माला जप इस कामना के साथ करें कि पूरे साल उनका वास आपके घर पर बना रहे और आपको कभी भी धन और अन्न की कमी न हो.
मां अन्नपूर्णा की पूजा का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार अन्नपूर्णा जयंती पर विधि-विधान से पूजा और व्रत रखने पर साधक को पूरे साल अन्न की कमी नहीं होती है. मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से उसके घर में धन और अन्न दोनों का भंडार भरा रहता है. मां अन्नपूर्णा की पूजा करने वाले साधक के यहां कभी भी पैसों और अन्न का अकाल नहीं पड़ता है. मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा की पूजा करने वाले व्यक्ति के घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है और उसके यहां आने वाला हर व्यक्ति कभी खाली पेट नहीं जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














