Amla Navami 2021: आंवला नवमी पूजा देती है अक्षय फल, नोट कर लें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवला नवमी मनाई जाती है. इस साल आज (12 नवंबर) शुक्रवार को आंवला नवमी व्रत रखा जा रहा है. इस दिन को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

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नई दिल्ली:

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आज (शुक्रवार) कार्तिक मास (Kartik Maas 2021) के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी (Amla Navami 2021) का व्रत रखा जा रहा है. आंवला नवमी को अक्षय नवमी (Akshaya Navami 2021) के नाम से भी जाना जाता है. यूं तो कार्तिक मास में स्नान का माहात्म्य है, लेकिन नवमी को स्नान करने से अक्षय पुण्य होता है, ऐसा हिंदुओं का विश्वास है. माना जाता है कि आंवला नवमी के दिन जो भी शुभ काम किया जाए, उसमें हमेशा बरकत मिलती है. कभी उसमें क्षय नहीं होता. मान्यता है कि इस दिन विशेष पूजा से अक्षय फल वरदान मिलता है. आंवला नवमी व्रत देव उठनी एकादशी व्रत से दो दिन पूर्व रखा जाता है. आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा करने का विधान है.

हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व है. इस दिन अनेक लोग व्रत भी करते हैं और कथा वार्ता में दिन बिताते हैं. बता दें कि स्वस्थ रहने की कामना के साथ आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है. आंवला वृक्ष की पूजा के बाद पेड़ के नीचे ही बैठकर ही आंवला प्रसाद का भोजन किया जाता है. माना जाता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस पर्व को अक्षय नवमी, धात्री नवमी और कूष्मांडा नवमी भी कहते हैं. इस साल अक्षत नवमी का त्योहार 12 नवंबर 2021 को मनाया जा रहा है.

आंवला नवमी पूजन का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat For Amla Navami Puja)

जो लोग आंवला नवमी का व्रत रखेंगे, उनको पूजा के लिए 5 घंटे 24 मिनट का समय मिल रहा है. आंवला नवमी पर (शुक्रवार, 12 नवंबर) पूजा का सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगा.

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आंवला नवमी पूजन विधि (Amla Navami Puja Vidhi)

  • सूर्योदय से पहले उठकर साफ कपड़े पहनें और पूजन की सामग्री के साथ आंवला के पेड़ के पास आसन लगाएं.
  • अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है.
  • वृक्ष की हल्दी कुमकुम व पूजन सामग्री से पूजा करें.
  • पेड़ की जड़ के पास सफाई कर जल और कच्चा दूध अर्पित करें.
  • तने पर कच्चा सूत या मौली लपेटें. यह करते हुए वृक्ष की आठ बार परिक्रमा करें.
  • कुछ जगहों पर पेड़ की 108 परिक्रमा का भी विधान बताया गया है.
  • पूजा के बाद आंवला नवमी की कथा पढ़ी और सुनी जाती है.
  • माना जाता है कि सुनें या खुद पाठ करना भी लाभप्रद होता है.
  • पूजा के बाद सुख समृद्धि की कामना करते हुए वृक्ष के नीचे बैठ कर भोजन किए जाने का महत्व है.
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