जल्द आने वाली है अक्षय तृतीया, जानें तिथि और मान्यतानुसार फल प्राप्ति के लिए पूजा विधि 

Akshay Tritiya 2022: मान्यतानुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा और आरती की जाती है. साथ ही, परशुराम भगवान की आराधना होती है.

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Akshay Tritiya: अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार कहे जाने वाले भगवान परशुराम की पूजा होती है.
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  • अक्षय तृतीया को बेहद शुभ दिन माना जाता है.
  • इस दिन भगवान विष्णु और भगवान परशुराम की पूजा होती है.
  • भगवान परशुराम विष्णु अवतार माने जाते हैं.
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Akshay Tritiya 2022: हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया को साल के सबसे शुभ अवसरों में से एक माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. भगवान परशुराम (Lord Parshuram) को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है जिस चलते इस दिन की विष्णु (Lord Vishnu) भक्तों के बीच विशेष मान्यता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष आने वाली 2 मई, मंगलवार के दिन अक्षय तृतीया मनाई जाएगी. मान्यतानुसार इस दिन सभी शुभ कार्य, मांगलिक कार्य जैसे विवाह आदि किसी भी समय संपन्न किए जा सकते हैं.

अक्षय तृतीया पूजा विधि | Akshay Tritiya Puja Vidhi 

अक्षय तृतीया के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके पीले वस्त्र धारण करने की मान्यता है. भगवान विष्णु (Lord Vishnu) पीले वस्त्र पहनते हैं और माना जाता है कि पीला रंग विष्णु भगवान को प्रिय है. इसके पश्चात भगवान विष्णु की प्रतिमा पर गंगाजल चढ़ाया जाता है और उन्हें मान्यतानुसार पीले फूल और पीले फूलों की माला, साथ ही, तुलसी अर्पित की जाती है. 

पूजा के लिए दीप जलाकर विष्णु चालीसा का पाठ किया जाता है. माना जाता है कि विष्णु आरती (Vishnu Aarti) और भजन करने से भगवान विष्णु या कहें भगवान परशुराम प्रसन्न होते हैं और मनचाही इच्छाएं पूरी करते हैं. 

अक्षया तृतीया आरती 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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