- नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी समेत कांग्रेस नेताओं को ईडी ने सवालों के घेरे में रखा है.
- नेशनल हेराल्ड 1938 में पंडित नेहरू द्वारा स्थापित एक प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बार था.
- 2008 में वित्तीय समस्याओं के कारण नेशनल हेराल्ड बंद हुआ, जिसके बाद 2012 में शिकायत दर्ज की गई.
- ईडी का आरोप है कि यंग इंडियन ने AJL के 90 करोड़ रुपये के कर्ज़ को धोखाधड़ी से शेयरों में बदला.
नेशनल हेराल्ड केस फिर सुर्ख़ियों में है. इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुछ अन्य कांग्रेस नेताओं को प्रवर्तन निदेशालय ने क्यों कठघरे में खड़ा किया तो पहले नेशनल हेराल्ड के बारे में जानना ज़रूरी है. जिसने भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास पढ़ा होगा, वो इस अख़बार से परिचित ज़रूर होगा. नेशनल हेराल्ड अंग्रेज़ी का एक अख़बार था, जिसे 1938 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने शुरू किया था. इस अख़बार को प्रकाशित करने वाली कंपनी का नाम था Associated Journals Limited (AJL), जिसकी स्थापना 1937 में हुई थी. इस कंपनी में नेहरू समेत 5000 स्वतंत्रता सेनानी शेयर होल्डर थे. ये कंपनी दो और अख़बार प्रकाशित करती थी, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में क़ौमी आवाज़.
नेशनल हेराल्ड किसने शुरू किया
आज़ादी की लड़ाई के दौरान नेशनल हेराल्ड एक राष्ट्रवादी अख़बार के तौर पर स्थापित हुआ, जिस पर ब्रिटिश सरकार ने 1942 में पाबंदी भी लगाई और उसे बंद करा दिया, लेकिन तीन साल बाद ये फिर शुरू हो गया.आज़ादी के बाद ये अख़बार कांग्रेस के मुखपत्र की तरह काम करता रहा और कई बड़े-बड़े पत्रकारों ने इसमें काम किया. इसकी बड़ी प्रतिष्ठा रही. 2010 तक इस कंपनी के 5000 में से सिर्फ़ 1,057 शेयरहोल्डर ही रह गए थे., लेकिन देश की आज़ादी के साथ इतने क़रीब से जुड़ा ये अख़बार समय के साथ-साथ मुनाफ़े की दौड़ से भी बाहर होता गया.
नेशनल हेराल्ड को लेकर किसने शिकायत की
2008 में वित्तीय कारणों से नेशनल हेराल्ड और बाकी दोनों अख़बार बंद कर दिए गए. विवाद तब शुरू हुआ जब 2012 में बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एक आपराधिक शिकायत दर्ज की. इसमें उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं पर आरोप लगाया कि वो Young Indian Ltd (YIL) द्वारा Associated Journals Ltd के अधिग्रहण में विश्वासघात और धोखाधड़ी में शामिल हैं.
नेशनल हेराल्ड को लेकर आरोप क्या हैं
- ED की चार्जशीट के मुताबिक नेशनल हेराल्ड को प्रकाशित करने वाली कंपनी AJL के पास क़रीब 2000 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति थी.
- घाटे में चलने के कारण कांग्रेस ने उसे 90 करोड़ रुपये ब्याज़ मुक्त कर्ज़ दिया था.
- चार्जशीट के मुताबिक 2010 में यंग इंडियन नाम से एक कंपनी बनाई गई, तब राहुल गांधी कांग्रेस महासचिव थे.
- इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी मैजोरिटी शेयर होल्डर हैं.
- दोनों के पास 38%-38% यानी कुल 76% हिस्सेदारी है.
- बाकी के 24% शेयर कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फ़र्नांडिस के पास थे और दोनों का निधन हो चुका है.
- राहुल गांधी यंग इडिया के डायरेक्टर बने.
- चार्जशीट के मुताबिक जो लोग AJL में थे, वही यंग इंडियन में भी थे.
- ED का आरोप है कि AJL जब क़र्ज़ चुकता करने की हालत में नहीं था तो उसने साज़िश के तहत 90 करोड़ के क़र्ज़ को इक्विटी यानी शेयरों में बदल दिया.
- इसके बाद 50 लाख रुपये में यंग इंडियन ने AJL को ख़रीद लिया.
- AJL के सैकड़ों करोड़ के शेयर इस तरह मिट्टी के भाव यंग इंडियन को आवंटित कर दिए गए.
- ED का कहना है कि यंग इंडियन को AJL के 99% शेयर हासिल हो गए.
- ED का आरोप है कि AJL की सैकड़ों करोड़ की संपत्ति का अधिकार यंग इंडियन को देने के लिए सोनिया, राहुल और अन्य लोगों ने एक आपराधिक साज़िश रची.
- ईडी ने कांग्रेस नेता सुमन दुबे और सैम पित्रोदा को भी इस केस में आरोपी बनाया है.
- ED का आरोप है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के धोखाधड़ी भरे फ़ैसलों से AJL के मैजोरिटी शेयरहोल्डर्स को ग़लत तरीके से नुक़सान पहुंचा है.
- ये भी आरोप है कि AJL के मालिकाना हक़ को Young Indian को सौंपने का फ़ैसला सिर्फ़ 7 शेयरहोल्डरों द्वारा लिया गया.
- ईडी हवाला के तहत दर्ज इस केस में AJL और यंग इंडियन की संपत्तियों को ज़ब्त कर चुकी है.
- इसी साल अप्रैल में ईडी ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में 661 करोड़ की अचल संपत्ति का कब्ज़ा लेने के लिए नोटिस जारी किए.
नेशनल हेराल्ड केस पर कांग्रेस का जवाब
कांग्रेस का कहना है कि ये पूरा केस राजनीति से प्रेरित है और जानबूझकर गांधी परिवार को परेशान करने के लिए हवाला के तहत ये केस किया गया है. कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि इस केस में न तो पैसे और न ही संपत्ति इधर से उधर हुई है और सरकार ने इसमें हवाला के तहत जांच शुरू कर दी है. सिर्फ़ इतना हुआ था कि नेशनल हेरल्ड के प्रबंधन के लिए एक not-for-profit company बनाई गई, जहां कोई डिविडेंड नहीं दिए जा सकते, न ही कोई वाणिज्यिक लेनदेन हो सकता है. सोनिया गांधी और गांधी परिवार के अन्य सदस्यों और दिवंगत मोतीलाल वोरा के साथ मिलकर एक कंपनी बनाने को हवाला का मामला बना दिया गया है.
अब मामला कोर्ट में है और देखना है कि ED के आरोप कोर्ट में कितने मज़बूत साबित होते हैं.