कैंसर के कारगर इलाज के लिए दिल्ली के कैंसर संस्थान ने रोश फार्मा से मिलाया हाथ

डीएससीआई यानी दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में 35% मरीज़ दिल्ली और 65% इसके आसपास या सुदूर राज्यों से इलाज के लिए आते हैं.

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वैश्विक मानकों के हिसाब से रोगियों के इलाज करने में मददगार (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

कैंसर (Cancer) मरीजों का बेहतर तरीके से कारगर इलाज हो इसके लिए दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान और रोश फार्मा इंडिया ने हाथ मिलाया है. इससे न केवल कैंसर केयर इंफ्रा का विकास होगा बल्कि इससे बीमारी से जंग जीतने में मरीजों को भी मदद मिलेगी. इतना ही नहीं, यह कोशिश कैंसर केयर डिलीवरी सिस्टम को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल है. 

फिलहाल, डीएससीआई यानी दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में 35% मरीज़ दिल्ली और 65% इसके आसपास या सुदूर राज्यों से इलाज के लिए आते हैं. हर साल करीब 4 लाख मरीज परामर्श लेते हैं. वहीं, 15 हजार मरीज़ इस संस्थान के ईस्ट और वेस्ट शाखाओं में अपना इलाज कराते हैं. करीब 40 हजार मरीजों का तो कीमोथेरेपी साइकिल दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में हर साल किया जाता है.

रोश फार्मा इंडिया और दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान के बीच हुए MoU से मरीजों का बेहतर इलाज मुमकिन हो पाएगा और इनके इलाज करने वाले डॉक्टरों का कौशल भी बढ़ेगा. इस समझौते के तहत, महीने में दो बार वर्चुअल ट्यूमर बोर्ड बैठेगा, जिसमें जटिल कैंसर के मामलों को समझने समझाने और इलाज के सही रास्ते को लेकर विशेषज्ञ अपना सुझाव देंगें और संस्थान की तरफ से इलाज में जुटे डॉक्टरों की दक्षता बढ़ेगी. ये कोशिश महज़ डॉक्टरों तक ही नहीं बल्कि तमाम स्वास्थ्यकर्मियों की समझ को नया आयाम देने की है.  

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस समझौते के ज़रिए मुझे उम्मीद है कि कैंसर के मरीजों के इलाज के बेहतर परिणाम आएंगे. यह बीमारी महामारी न बने इसलिए इस तरह के कदम उठाने जरूरी हैं. जिससे कैंसर पीड़ित मरीज अपनी जंग जीत पाएं. हमारी कोशिश है कि इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता आए. 

वहीं, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान के निदेशक डॉक्टर किशोर सिंह ने कहा कि कैंसर के बढ़ते मामले चिंता पैदा करने वाले हैं और ऐसे में इसके इंफ्रा को और बेहतर करने की जरूरत है. इस समझौता से कैंसर के रोगियों को और बेहतर इलाज मिल सकेगा. 

संस्थान की क्लीनिकल ऑनकोलॉजी की प्रमुख डॉक्टर प्रज्ञा शुक्ला के मुताबिक, ये नई पहल वैश्विक मानकों के हिसाब से रोगियों के इलाज करने में मददगार होगा. साथ ही स्वास्थ्यकर्मी को दी जानी वाली ट्रेनिंग उनकी समझ और कौशल का और विकास करेगी.

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