पैरोल पर जेल से बाहर आया था डबल मर्डर का दोषी, फिर हो गया फरार, 6 साल बाद गिरफ्तार

6 सितंबर 2025 को हेड कांस्‍टेबल ललित चौधरी को सूचना मिली कि नौशाद लोनी देहात इलाके में रह रहा है. तकनीकी निगरानी और मानवीय स्रोतों की मदद से लोकेशन ट्रेस की गई. इसके बाद छापा मारकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

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  • दिल्ली क्राइम ब्रांच की एंटी-रॉबरी सेल ने 6 साल से फरार डबल मर्डर केस में दोषी कैदी नौशाद को गिरफ्तार किया है.
  • नौशाद 2019 में पैरोल पर जेल से बाहर आया था और फिर फरार हो गया था, पुलिस लगातार उसकी तलाश में थी.
  • 27 मार्च 2006 को वेलकम इलाके में पुरानी रंजिश के चलते नौशाद ने दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
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नई दिल्‍ली :

दिल्ली क्राइम ब्रांच की एंटी-रॉबरी एंड स्नैचिंग सेल ने बड़ी सफलता हासिल की है. टीम ने 6 साल से फरार कैदी नौशाद को गिरफ्तार किया है. नौशाद डबल मर्डर के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था और 2019 में पैरोल पर बाहर आने के बाद फरार हो गया था. क्राइम ब्रांच की टीम लगातार पैरोल पर आने के बाद फरार होने वाले कैदियों की तलाश कर रही थी. इसी कड़ी में उन्‍हें नौशाद का पता लगा और उसे गिरफ्तार कर लिया गया. 

6 सितंबर 2025 को हेड कांस्‍टेबल ललित चौधरी को सूचना मिली कि नौशाद लोनी देहात इलाके में रह रहा है. तकनीकी निगरानी और मानवीय स्रोतों की मदद से उसकी लोकेशन ट्रेस की गई. इसके बाद इंस्पेक्टर केके शर्मा के नेतृत्व में टीम बनाई गई. टीम ने छापा मारकर उसे दिल्ली के वजीराबाद इलाके से गिरफ्तार कर लिया.

27 मार्च 2006 को डबल मर्डर 

यह मामला 27 मार्च 2006 का है. वेलकम इलाके की जनता कॉलोनी में पड़ोसियों के बीच पुरानी रंजिश के चलते खूनी वारदात हुई थी. आरोपी नौशाद और उसके साथी पीड़ित परिवार के घर में घुस गए थे और बदले की नीयत से गोलीबारी और चाकूबाजी की थी. इस हमले में पप्पू (शिकायतकर्ता का भाई) और अनिशा (मां) की मौके पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जबकि हिना (बहन) गंभीर रूप से घायल हो गई थी. 

पुलिस जांच में पता चला कि यह दुश्मनी एक लव मैरिज विवाद से जुड़ी थी. शिकायतकर्ता के भाई इशरत ने शबनम से शादी की थी, जो आरोपी शमीम की बेटी थी. इस शादी का विरोध शबनम के घरवालों ने किया और धमकियां दी गईं. इसके बाद यह दुश्मनी हत्या तक पहुंच गई.  

2019 में जेल से फरार हुआ था नौशाद 

इस मामले में 26 जुलाई 2013 को अदालत ने नौशाद और बाकी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा और 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था. हालांकि 2019 में जेल से 2 हफ्ते की पैरोल मिलने के बाद नौशाद फरार हो गया और 6 साल तक पुलिस की पकड़ से बाहर रहा. 
 

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