दिल्ली के यमुना खादर में मिला महिला का शव: प्रेम विवाह और अंतिम संस्कार विवाद के बीच हत्या की आशंका

परिवार के अनुसार, चंदा ने लगभग तीन दशक पहले एक मुस्लिम युवक चांद बाबू से प्रेम विवाह किया था. विवाह के बाद उसने अपना नाम बदलकर शबाना रख लिया और उस्मानपुर के पुराने गांव की एक झुग्गी में अपने पति के साथ रहने लगी.

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  • दिल्ली के शास्त्री पार्क में यमुना खादर से महिला का शव मिलने के बाद हत्या और लापरवाही के गंभीर आरोप सामने आए
  • शबाना ने लगभग तीस साल पहले मुस्लिम युवक से प्रेम विवाह किया था और अपने नाम को बदलकर शबाना रख लिया था
  • पहचान पत्र खो जाने के कारण शव का मुस्लिम या हिंदू रीति से अंतिम संस्कार करने में प्रशासन ने सहयोग नहीं किया
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नई दिल्ली:

राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले के शास्त्री पार्क थाना क्षेत्र में यमुना खादर इलाके से एक महिला का शव बरामद होने के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है. मृतका की पहचान शास्त्री पार्क निवासी चंदा उर्फ शबाना के रूप में हुई है, जिसने करीब 25–30 वर्ष पूर्व एक मुस्लिम युवक से प्रेम विवाह किया था. प्रारंभिक जांच में यह मामला केवल एक लावारिस शव मिलने का प्रतीत हुआ, लेकिन जैसे-जैसे मृतका की पारिवारिक पृष्ठभूमि और घटनाक्रम सामने आए, यह संभावित हत्या और प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर मामला बन गया.

प्रेम विवाह और बदली हुई पहचान

परिवार के अनुसार, चंदा ने लगभग तीन दशक पहले एक मुस्लिम युवक चांद बाबू से प्रेम विवाह किया था. विवाह के बाद उसने अपना नाम बदलकर शबाना रख लिया और उस्मानपुर के पुराने गांव की एक झुग्गी में अपने पति के साथ रहने लगी. इस विवाह के चलते परिवार से उसका संपर्क लगभग टूट गया था और मृतका का जीवन समाज और परिजनों से अलग-थलग बीत रहा था.

बाढ़ में बह गए दस्तावेज, अंतिम संस्कार बना चुनौती

सितंबर 2025 में दिल्ली में आई यमुना की बाढ़ के दौरान शबाना और उसके पति के पहचान पत्र और दस्तावेज बह गए थे. दो दिन पहले बीमारी के चलते शबाना की मृत्यु हो गई. पति चांद बाबू ने पहले उसे मुस्लिम रीति-रिवाज से दफनाने की कोशिश की, लेकिन पहचान पत्र न होने के कारण कब्रिस्तान में अनुमति नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करने की कोशिश की, लेकिन वह भी संभव नहीं हो सका.

परिजनों का आरोप: शव को बोरियों में भरकर ले जाया गया, पुलिस ने नहीं की मदद

मृतका की मां विद्यावती ने बताया “हमें दो दिन पहले फोन आया कि मेरी बेटी की मौत हो गई है. मैंने रात में खुद जाने से मना किया और अपने तीन बच्चों को भेजा. हमें बताया गया था कि सुबह 8 बजे अंतिम संस्कार होगा, लेकिन जब हम पहुंचे तो शव पहले ही गायब था. हमें कहा गया कि अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति से हो गया है और उसके पति ने शव को कब्रिस्तान में दफना दिया है. जब मैंने कब्रिस्तान की पर्ची दिखाने को कहा, तो उसने देने से इनकार कर दिया.”

विद्यावती ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी बेटी को उसका पति चांद बाबू अक्सर मारता-पीटता था. उन्होंने सवाल उठाया, “अगर मेरी बेटी को मुस्लिम रीति से दफनाया गया था, तो फिर उसका शव अगले दिन यमुना में कैसे मिला?” पड़ोसियों ने भी पुष्टि की कि मृतका का पति अक्सर उसके साथ मारपीट करता था, और मृतका की मां ने भी यही आरोप दोहराया.

बेटे का बयान: “मां की हत्या की गई, पुलिस ने कोई मदद नहीं की”

मृतका के बेटे कार्तिक, जो अपनी मौसी के साथ रहता है, ने कहा, “मेरी मां को उसके पति चांद बाबू ने मार दिया. हमें फोन पर बताया गया कि मां को बोरियों में भरकर कहीं ले जाया जा रहा है. हमने पुलिस से मदद मांगी, लेकिन उन्होंने कोई सहायता नहीं की.” परिवार का आरोप है कि जब उन्होंने पुलिस से जवाब मांगा तो उनके साथ धक्का-मुक्की की गई और उन्हें गुमराह किया गया.

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पुलिस की प्रतिक्रिया और जांच की स्थिति

न्यू उस्मानपुर थाना पुलिस ने शव मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेजा गया है. फॉरेंसिक टीम ने मौके से साक्ष्य एकत्र किए हैं और पुलिस ने कहा है कि मामले में उचित धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है. फिलहाल जांच जारी है.

पहचान, रीति-रिवाज और न्याय का सवाल

यह मामला केवल एक महिला की मृत्यु का नहीं है, बल्कि पहचान संकट, धार्मिक रीति-रिवाजों की जटिलता, प्रशासनिक असंवेदनशीलता, और संभावित घरेलू हिंसा का गंभीर उदाहरण है. परिवार न्याय की मांग कर रहा है और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहा है. अब देखना यह होगा कि जांच किस दिशा में जाती है और क्या मृतका को न्याय मिल पाता है.

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