एक विदाई ऐसी भी: गले लगाया, फूट-फूटकर रोये... SHO साहब का तबादला सह नहीं सके लोग

SHO राम मनोहर मिश्रा ने यह साबित कर दिया कि अगर वर्दी में दिल हो, तो वो डर नहीं, अपनापन बन जाती है. वह केवल एक SHO नहीं, समाज के मार्गदर्शक बन गए. जब उनका ट्रांसफर हुआ, तो ऐसा लगा मानो किसी प्रियजन की विदाई हो रही हो.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
जब SHO राम मनोहर मिश्रा ने वर्दी को बना दिया अपनापन का प्रतीक
नई दिल्ली:

दिल्ली के नॉर्थ जिले की सब्ज़ी मंडी थाना क्षेत्र में तैनात SHO राम मनोहर मिश्रा का तबादला (Delhi SHO Farewell) होते ही इलाके में जैसे उदासी छा गई. लोग रो पड़े, सोशल मीडिया पर संदेशों की बाढ़ आ गई और स्थानीय नागरिकों ने उन्हें "अपने परिवार का सदस्य" बताया. इसका कारण सिर्फ उनकी ड्यूटी नहीं, बल्कि उनका इंसानी जज़्बा, उनकी गायिकी और जनता से आत्मीय जुड़ाव था.

एक इंस्पेक्टर, सुरों का सरताज

इंस्पेक्टर मिश्रा न केवल एक काबिल पुलिस अफसर थे, बल्कि एक बेहतरीन गायक भी हैं. उन्होंने संगीत को माध्यम बनाया जनता के दिलों में उतरने का. चाहे कांवड़ यात्रा हो, छठ पूजा या गणेश उत्सव-उनके भजनों की मांग हर मंच पर बढ़ती चली गई. थाने से लेकर मंदिरों तक उनकी आवाज़ गूंजने लगी.

थाने की चौखट पर बच्चों ने काटा केक

उनके थाने में जनता को बिना रोकटोक आने की अनुमति थी. बच्चे अपने जन्मदिन मनाने थाने आते थे और SHO साहब की मेज पर केक काटते थे. मिश्रा जी भी जब किसी बच्चे या बुजुर्ग के बारे में जानते, तो खुद केक लेकर उनके घर पहुंच जाते

Advertisement

जब एक रोते बच्चे को साइकिल मिली

एक दिन एक 10 वर्षीय बच्चा थाने पहुंचा और बताया कि उसकी साइकिल चोरी हो गई है. SHO मिश्रा ने उसे शाम को बुलाया और अपने पैसों से एक नई साइकिल खरीदकर उसे भेंट कर दी. बच्चे और उसके माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू थे.

Advertisement

सड़क पर भूखे के लिए बनाया अन्न क्षेत्र

एक दिन सड़क पर एक बेघर व्यक्ति को गायों के लिए रखी रोटी खाते देख उनका दिल दहल गया. कुछ ही दिनों में थाने के पास एक नि:शुल्क भोजन केंद्र शुरू किया गया, जहां रोज़ 12 से 2 बजे तक गरीबों को भरपेट खाना मिलता है. पिछले एक साल से यह सेवा निरंतर चल रही है.

Advertisement

अपराधियों के लिए कठोर, पर युवाओं के लिए संरक्षक

छोटे अपराध में लिप्त युवाओं को मिश्रा जी बंदी नहीं बनाते थे. उनकी काउंसलिंग करते, उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ते और एक अवसर देते. नतीजा यह रहा कि वही युवा इलाके की सुरक्षा में पुलिस के सहयोगी बन गए.

Advertisement

84% अपराधों पर नियंत्रण

उनकी अनूठी सोशल पुलिसिंग शैली, जनता से सीधा संवाद और मानवीय दृष्टिकोण ने इलाके में 80-84% अपराधों पर लगाम लगाने में सफलता दिलाई. वह केवल एक SHO नहीं, समाज के मार्गदर्शक बन गए. जब उनका ट्रांसफर हुआ, तो ऐसा लगा मानो किसी प्रियजन की विदाई हो रही हो. लोग भावुक हुए, आंखों से आंसू बहने लगे. SHO राम मनोहर मिश्रा ने यह साबित कर दिया कि अगर वर्दी में दिल हो, तो वो डर नहीं, अपनापन बन जाती है.
 

Featured Video Of The Day
Ranthambore Tiger Attack: रणथंभौर में दहशत का अंत, पकड़ी गई आदमखोर बाघिन | NDTV India