दिल्ली मेट्रो की फिर चोरी हुईं केबल, 6 घंटे से अधिक बाधित रही रेड लाइन सर्विस

ये मेट्रो केबल चोरी का पहला मामला नहीं है. जून 2024 से अब तक मेट्रो नेटवर्क के विभिन्न कॉरिडोर से 89 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें केबल चोरी की घटनाएं शामिल हैं.

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दिल्ली मेट्रो एक बार फिर से सिग्नलिंग केबल चोरी का शिकार हो गई, जिसके कारण रेड लाइन पर सर्विस प्रभावित हई, हालांकि 6 घंटे से अधिक समय तक सेवा प्रभावित रहने के बाद डीएमआरसी ने स्थिति को ठीक कर लिया और उसके बाद से लगातार मेट्रो का प्रचलन जारी है. DMRC एक एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुबह 6:00 बजे के करीब सिग्नलिंग केबल चोरी की बात सामने आई थी, जिसके बाद मेट्रो सर्विस रेड लाइन पर प्रभावित हुई, लेकिन 6 घंटे के कड़ी मेहनत के बाद दोपहर 12:21 बजे रेड लाइन पर मेट्रो सर्विस फिर से चालू हो गई. वहीं डीएमआरसी ने इस पूरी घटना को लेकर एक पुलिस में प्राथमिकी भी दर्ज कराई है. मेट्रो सर्विस रेड लाइन पर क्यों प्रभावित हुईं?

दरअसल, सीलमपुर और वेलकम मेट्रो स्टेशनों के बीच सिग्नलिंग केबल चोरी की एक और घटना गुरुवार (13 मार्च) को सामने आई. इस घटना के कारण मानसरोवर पार्क से सीलमपुर मेट्रो स्टेशन तक ट्रेनें 25 किमी/घंटा की गति से चलाई गईं. इससे पूरी रेड लाइन पर यात्रियों की यात्रा में देरी हुई. मामला प्रकाश में आने के बाद दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) एक्स पर एक पोस्ट करके इस बारे में जानकारी दी.

दिल्ली मेट्रो में सिगनलिंग केबल चोरी के केस बढ़े

हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है जब इस तरह से सिगनलिंग केबल चोरी का मामला सामने आया है. जून 2024 से अब तक मेट्रो नेटवर्क के विभिन्न कॉरिडोर से 89 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें केबल चोरी की घटनाएं शामिल हैं. इन चोरियों में 35 मामले ट्रैक्शन केबल, 32 मामले सिग्नलिंग केबल और 22 मामले इलेक्ट्रिकल केबल की चोरी के हैं. DMRC ने केबल चोरी की रोक के लिए उठाए कई कदम. डीएमआरसी ने केबल चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं. जैसे-

  1. चोरी के प्रवण क्षेत्रों में केबलों पर सीमेंट लगाना
  2. चोरी रोकथाम क्लैंप स्थापित करना
  3. ड्रोन और सीसीटीवी निगरानी के विकल्पों का अन्वेषण करना
  4. कॉन्सर्टिना कॉइल स्थापित करना
  5. केबल ट्रे पर कवर स्थापित करना.

जानकारी के अनुसार, मेट्रो सेवाएं सिग्नलिंग, ट्रैक्शन, दूरसंचार, इलेक्ट्रिकल सिस्टम आदि के लिए वायडक्ट/सुरंग में चलने वाली सैकड़ों किलोमीटर की केबलों के समर्थन से चलती हैं. केबलों को नुकसान पहुंचाने से मेट्रो सेवाओं में अनावश्यक देरी होती है, क्योंकि राजस्व सेवा घंटों के दौरान उन्हें बदलना बहुत चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा होता है.
 

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