बीजेपी पार्षद रेणु चौधरी की विदेशी नागरिक को चेतावनी हिंदू सीखो या दिल्ली छोड़ो, वायरल वीडियो पर दी सफाई

विवाद बढ़ा तो रेणु चौधरी से एनडीटीवी ने बात की. उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें नहीं पता कि यह व्यक्ति कहां रहता है, लेकिन वह पिछले 14 वर्षों से पड़ोस के बच्चों को फुटबॉल सिखा रहा है.

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  • दिल्ली की पटपड़गंज से बीजेपी पार्षद रेणु चौधरी ने पार्क में फुटबॉल कोच को हिंदी नहीं बोलने के लिए डांटा था
  • चौधरी ने पार्क में देर रात तक चलने वाली गतिविधियों और सफाई की खराब स्थिति को लेकर चिंता जताई थी
  • अफ्रीकी कोच पर पार्क को व्यावसायिक उपयोग के लिए एमसीडी को राजस्व न देने और पंजीकरण न कराने का आरोप लगा था
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दिल्ली की पटपड़गंज से बीजेपी पार्षद रेणु चौधरी का एक बयान न सिर्फ वायरल बल्कि काफी विवादित हो गया है. वीडियो वायरल होने के बाद रेणु चौधरी ने अपने बयान पर सफाई तो दी है, लेकिन विवाद बढ़ता जा रहा है. हालांकि, इस विवाद को आमंत्रण भी खुद रेणु चौधरी ने ही दिया था. दरअसल, तीन दिन पहले उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक वीडियो पोस्ट किया था. इसी वीडियो पर विवाद हो रहा है.    

क्यों नाराज हो गईं रेणु चौधरी

वीडियो में वो पार्क में बच्चों को फुटबॉल सिखाने वाले एक विदेशी शख्स को हिंदी में बात करने के लिए डांटती नजर आ रही हैं. इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर करत हुए उन्होंने लिखा कि स्थानीय निवासियों की लगातार शिकायतों के बाद पार्क का निरीक्षण किया गया. शिकायत यह थी कि पार्क में देर रात तक गतिविधियां चलती हैं. साफ-सफाई की स्थिति खराब रहती है और तय समय का पालन नहीं किया जाता. यह पार्क आसपास की सोसाइटियों के अनुसार रात 8 बजे बंद होना चाहिए, लेकिन निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि पार्क रात 11 बजे तक खुला रहता है. पार्क में फुटबॉल सिखाने के नाम पर बाहरी लोग नियमित रूप से एकत्र होते हैं, जिससे रैपर, बोतलें और गंदगी पार्क में फैली रहती हैं. इतने बड़े पार्क की सिर्फ हफ्ते में एक बार सफाई कराया जाना पूरी तरह से नाकाफी है, खासकर जब यहां रोज बड़ी संख्या में लोग आते हों.

रेणु चौधरी ने पोस्ट में आगे बताया कि यह भी स्पष्ट किया गया कि 8 महीने पहले ही संबंधित व्यक्ति को बुलाकर चेतावनी दी जा चुकी थी कि पार्क की नियमित सफाई रखी जाए और तय समय पर पार्क बंद किया जाए. सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि पार्क में कोई अवैध गतिविधि या आपराधिक घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? पार्क बच्चों, बुज़ुर्गों और स्थानीय परिवारों के लिए है, न कि नियमों की अनदेखी के लिए. इसके अलावा यह भी एक सार्वजनिक और प्रशासनिक चिंता का विषय है कि कोई भी व्यक्ति यदि पिछले 10 वर्षों से हमारे देश में रहकर काम कर रहा है, तो उसे स्थानीय भाषा (हिंदी) समझने और बोलने का प्रयास अवश्य करना चाहिए. जब हम किसी दूसरे देश में जाते हैं, तो वहां के नियमों और भाषा का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी होती है—यही अपेक्षा यहां भी की जाती है. बस इसी लाइन पर विवाद हो गया. 

अब क्या दे रहीं सफाई

विवाद बढ़ा तो रेणु चौधरी से एनडीटीवी ने बात की. उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें नहीं पता कि यह व्यक्ति कहां रहता है, लेकिन वह पिछले 14 वर्षों से पड़ोस के बच्चों को फुटबॉल सिखा रहा है. आठ महीने पहले मैंने उससे पार्क को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करने के लिए एमसीडी को राजस्व देने को कहा था, लेकिन उसने मेरी बात नहीं मानी. हमारे कर्मचारी उसे बार-बार इलाके को साफ रखने और पार्क के इस्तेमाल के लिए पंजीकरण कराने के लिए कहते रहते हैं, लेकिन वह कोई जवाब नहीं देता क्योंकि उसे भाषा समझ नहीं आती. इसलिए मैंने उसे बेहतर संवाद के लिए बुनियादी हिंदी सीखने को कहा. उन्होंने दावा किया है कि संबंधित अफ्रीकी नागरिक लगभग 15 वर्षों से इस इलाके में रह रहा है और निजी फुटबॉल कोच के रूप में काम करता है.

बताया क्यों पड़ी डांटने की जरूरत

रेणु चौधरी के अनुसार, जिस दिन वीडियो रिकॉर्ड किया गया था, उस दिन मैदान में लगभग 20 अफ्रीकी नागरिक मौजूद थे. चौधरी का दावा है कि एमसीडी के अधिकांश कर्मचारी अंग्रेजी नहीं समझते, जबकि अफ्रीकी कोच, वर्षों से इस क्षेत्र में रहने के बावजूद, बुनियादी हिंदी भी नहीं समझते, जिससे संचार में गंभीर समस्याएं और गलतफहमियां पैदा होती हैं. पार्षद ने यह भी आरोप लगाया है कि इस क्षेत्र में लंबे समय से नशीली दवाओं से संबंधित गतिविधियां बढ़ रही हैं, जिससे स्थानीय निवासियों में परेशानी है. उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में शिकायतें मिली थीं और वे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए पार्क गईं थीं. चौधरी ने यह भी कहा कि उनका किसी को धमकाने का कोई इरादा नहीं था और हिंदी सीखने का उनका सुझाव केवल संचार को आसान बनाने के लिए था.

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