'प्रदूषण भाई तुमको जाना पड़ेगा...' : AAP का दिल्ली सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जो सरकार आई ही फर्जीवाड़ा करने के उद्देश्य से है, वह सरकार प्रदूषण कैसे कम कर सकती है? क्योंकि इन्होंने पहले दिन ही सोच लिया था कि प्रदूषण तो कम नहीं हो सकता, इसलिए यह सोचो कि एक्यूआई को कैसे कम करना है. जंगलों में जाकर एक्यूआई निगरानी केंद्र लगाने लग गए और जब प्रदूषण बढ़ता है तो केंद्रों को बंद कर देते हैं.

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आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के प्रदूषण पर मंगलवार को थाली बजाकर दिल्ली सचिवालय के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. ‘‘आप'' के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज समेत विधायकों और नेताओं ने सीएम रेखा गुप्ता पर कटाक्ष करते हुए नारा लगाया कि प्रदूषण भाई तुमको जाना पड़ेगा. इस दौरान पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सीएम रेखा गुप्ता गहरी नींद में सोई हुई हैं. हमने उन्हें जगाने के लिए थाली और चम्मच बजाई है. अगर वह जाग गईं तो बहुत अच्छी बात है, नहीं तो दोबारा उन्हें जगाने की कोशिश करेंगे. अगर दिल्ली का प्रदूषण कम करना है तो भाजपा सरकार को फर्जीवाड़ा बंद करना होगा और ईमानदारी से काम करना चाहिए.

सौरभ भारद्वाज ने थाली-चम्मच बजाने को लेकर कहा कि हमने वही तरीका इस्तेमाल किया, जैसा पीएम मोदी ने लॉकडाउन में बताया था. मोदी जी ने कोरोना को भगाने के लिए थाली बजवाई थी, वैसे ही हमने थाली बजाकर कहा कि प्रदूषण भाई तुमको जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि रेखा गुप्ता सरकार को अब एक्यूआई पर काम करना होगा और यह सीखना होगा कि एक्यूआई क्या है? भाजपा सरकार एक्यूआई निगरानी केंद्रों पर फर्जीवाड़ा कर रही है. निगरानी केंद्रों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है. जंगलों के अंदर नए निगरानी केंद्र लगाए जा रहे हैं, ताकि प्रदूषण का स्तर कम दिखे. नकली यमुना भी बनाई जा रही है. भाजपा सरकार को समझना चाहिए कि फर्जीवाड़े से प्रदूषण कम नहीं होगा, क्योंकि सरकार की नाक के नीचे दिन-रात निर्माण कार्य चल रहा है. भाजपा मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा से भी हमारा सवाल है कि वे कृत्रिम वर्षा कराने वाले थे, लेकिन अभी तक तो नहीं हुई?

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिसंबर के महीने में प्रदूषण बढ़ने का वैज्ञानिक कारण है. सुप्रीम कोर्ट ग्रैप के नियम इसलिए लेकर आया, ताकि प्रदूषण बढ़ते ही पाबंदियां लगाकर उसे रोका जा सके, लेकिन भाजपा सरकार ने आंकड़ों में फर्जीवाड़ा और निगरानी केंद्रों को बंद करना शुरू कर दिया. इस कारण जब एक्यूआई 800 होता है तो सरकार 350 बताती है और जब 1000 के पार होता है तो 400 ही बताती है. 

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सरकार को सबसे पहले तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए ग्रैप के नियमों का पालन करना चाहिए था और ग्रैप-4 के अंदर ऑड-ईवन लागू होना चाहिए था. इन्होंने ऑड-ईवन लागू नहीं किया. क्या रेखा गुप्ता या भाजपा मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा सुप्रीम कोर्ट के जजों से ज्यादा पढ़े लिखे हैं? ये लोग ग्रैप के नियमों का पालन ही नहीं करा पाए. चाहे ग्रैप 2 हो या ग्रैप 3 हो या ग्रैप 4, दिल्ली में कुछ नहीं बदलता है. वही गाड़ियां जो पहले चल रही थीं, वह अभी भी चल रही हैं और सरकार के जो निर्माण कार्य चल रहे थे, वह अभी भी चल रहे हैं. सब कुछ तो वही है. क्या कहीं ट्रैफिक पुलिस नियमों का पालन करवा रही है? 

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जो सरकार आई ही फर्जीवाड़ा करने के उद्देश्य से है, वह सरकार प्रदूषण कैसे कम कर सकती है? क्योंकि इन्होंने पहले दिन ही सोच लिया था कि प्रदूषण तो कम नहीं हो सकता, इसलिए यह सोचो कि एक्यूआई को कैसे कम करना है. जंगलों में जाकर एक्यूआई निगरानी केंद्र लगाने लग गए और जब प्रदूषण बढ़ता है तो केंद्रों को बंद कर देते हैं. दिवाली की रात इन्होंने सारे निगरानी केंद्र बंद कर दिए ताकि प्रदूषण का सही आंकड़ा न आ पाए. अब निगरानी केंद्रों पर पानी का छिड़काव कर रहे हैं. इनकी तो पहले दिन से मंशा ही धोखाधड़ी की थी और इनको लगा कि फर्जीवाड़ा करके लोगों को बेवकूफ बनाएंगे और प्रदूषण चलता रहेगा, मगर ऐसा हुआ नहीं. जो मुख्यमंत्री आई ही फर्जीवाड़ा करने के लिए थीं, आज उस मुख्यमंत्री की पोल खुल गई है और दिल्ली को नया मुख्यमंत्री चाहिए.

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ़ सरकारों की विफलता नहीं है, बल्कि यह उस समाज की सामूहिक अपराधबोध से भरी चुप्पी है जो धर्म, जाति, चुनाव और खोखले राष्ट्रवाद पर चीख़ता रहा. मगर हवा, पानी और जीवन पर मौन साधे रहा. जो आज भी इसे गंभीरता से नहीं समझ रहे, वे अपने ही बच्चों को ज़हरीली हवा में बड़ा होने की सज़ा खुद दे रहे हैं. आने वाली पीढ़ियों हमें माफ़ नहीं करेंगी. क्योंकि हमने “विकास” के नाम पर उनका भविष्य, उनकी सांसें और उनका जीवन, सब कुछ गिरवी रख दिया.

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सौरभ भारद्वाज ने एक अन्य पोस्ट में दिल्ली के अंदर प्रदूषण की वजह से बीमार एक बेजुबान जानवर का वीडियो भी साझा किया है. उन्होंने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाला है कि दिल्ली के अंदर छोटे बच्चों और बुजुर्गों के बाद अब बेजुबान जानवर भी प्रदूषण से बीमार हो रहे हैं. प्रदूषण के कारण पालतू जानवरों को भी नेबुलाइज़र की जरूरत पड़ रही है.

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