दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज: निर्माण में देरी से ज्यादा खूबसूरती की चर्चा

सिग्नेचर ब्रिज के 154 मीटर ऊंचे मुख्य पिलर पर होना यानी दिल्ली में सबसे ऊंचे शिखर पर होना

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सिग्नेचर ब्रिज का उद्घाटन रविवार को होगा.
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  • शुरुआत में लागत करीब 464 करोड़ रुपये अनुमानित थी
  • 1518.37 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ
  • उत्तर पूर्वी दिल्ली को करनाल बाई पास रोड से जोड़ेगा ब्रिज
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नई दिल्ली: दिल्ली के वजीराबाद में यमुना नदी पर बनकर तैयार बहु प्रतीक्षित सिग्नेचर ब्रिज का दिल्ली की जनता को पिछले 14 साल से इंतजार है. लेकिन फिलहाल यह ब्रिज  अपनी  खूबसूरती के लिए चर्चा में है. एनडीटीवी इंडिया की टीम ने 154 मीटर के मुख्य पिलर पर ऊपर जाकर नीचे का नजारा देखा. नजारा जितना खूबसूरत था उतना डराने वाला भी था. क्योंकि 154 मीटर की ऊंचाई पर होना यानी दिल्ली में सबसे ऊंचे शिखर पर होना है.

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सिग्नेचर ब्रिज की रात की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर की हैं जिसमें सिग्नेचर ब्रिज पर लेजर लाइट डाली जा रही है. मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया'सिग्नेचर ब्रिज पर लाइट शो की तैयारी. 4 नवम्बर, रविवार को शाम 4 बजे सिग्नेचर ब्रिज का उद्घाटन मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal ji करेंगे. इसके बाद लेज़र शो का कार्यक्रम भी होगा.आप सभी ज़रूर पहुंचें.'

क्या है इसकी ख़ासियत?
सिग्नेचर ब्रिज का मुख्य आकर्षण उसका मुख्य पिलर है जिसकी ऊंचाई 154 मीटर है. पिलर के ऊपरी भाग में चारों तरफ शीशे लगाए गए हैं. लिफ्ट के जरिए जब लोग यहा पर पहुंचेंगे तो उन्हें यहा से दिल्ली का टॉप व्यू देखने को मिलेगा जो दिल्ली में किसी भी इमारत की ऊंचाई से अधिक होगा या ऐसे समझें कि इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार से दोगुनी से भी ज़्यादा है. जिससे यह पर्यटकों के लिए खास बनेगा. ब्रिज पर 15 स्टे केबल्स हैं जो बूमरैंग आकार में हैं. जिन पर ब्रिज का 350 मीटर भाग बगैर किसी पिलर के रोका गया है. ब्रिज की कुल लंबाई 675 मीटर चौड़ाई 35.2 मीटर है.

किसको मिलेगा फायदा?

यमुना नदी पर बना यह ब्रिज उत्तर पूर्वी दिल्ली को करनाल बाई पास रोड से जोड़ेगा. इस ब्रिज के बन जाने से उत्तर-पूर्वी दिल्ली के यमुना विहार गोकुलपुरी भजनपुरा और खजूरी की तरफ से मुखर्जी नगर, तिमारपुर, बुराड़ी और आजादपुर जाने वाले लोगों बड़ी राहत मिलेगी जो रोजाना वजीराबाद पुल के जरिए अपना सफर करते हैं और आधा से एक घंटे का समय उन्हें लग जाता है. अब वह यह सफर मिनटों में कर पाएंगे.

कितनी देरी और कितनी बढ़ी लागत
इस तरह के ब्रिज के बारे में 1997 में सोचना शुरू किया गया था और यह योजना 2004 में जाकर एक ठोस योजना में बदली. उस समय इसकी लागत करीब 464 करोड़ रुपये अनुमानित थी. साल 2007 में शीला दीक्षित कैबिनेट ने इसको मंज़ूरी दी. शुरुआत में लक्ष्य रखा गया कि इसको 2010 की कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन इसके निर्माण की शुरुआत ही कॉमन वेल्थ खेल 2010 के दौरान हो पाई. साल 2011 में इसकी कीमत बढ़कर 1131 करोड़ रुपये हो गई और अब यह आखिरकार ये 1518.37 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुआ है.


मनीष सिसोदिया ने ख़ास ध्यान दिया
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पर्यटन मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही सबसे पहले सिग्नेचर ब्रिज का काम अपने हाथ में लिया. पर्यटन मंत्रालय के तहत आने वाला दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण कर रहा है . मनीष सिसोदिया ने लगातार अफसरों पर इस ब्रिज को जल्द से जल्द पूरा करने का दबाव बनाया. यही नहीं क्योंकि वह दिल्ली के वित्त मंत्री भी हैं इसलिए इस प्रोजेक्ट में वित्त संबंधी सभी समस्याओं का उन्होंने जल्द से जल्द निपटारा कराया. जिसके चलते सिग्नेचर ब्रिज कुछ जल्दी तैयार हो पाया.

 

कितना बदल वक्त? कितने बदले मंत्री
इस ब्रिज के बारे में जब सोचना शुरू किया गया था तब दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी लेकिन ठोस योजना 2004 में जाकर तैयार हुई तब शीला दीक्षित दूसरी बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी थीं. राहुल गांधी भी राजनीति में औपचारिक रूप से तभी आए थे. परियोजना को कॉमनवेल्थ खेलों से पहले पूरा हो जाना था लेकिन इसका निर्माण कार्य ही तभी शुरू हो पाया. इसके बाद 2013 की डेडलाइन रखी गई लेकिन ब्रिज तैयार नहीं हो पाया. दिल्ली से कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार चली गई और देश से प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सरकार चली गई लेकिन यह ब्रिज पूरा नहीं हो पाया. दिल्ली में शीला दीक्षित के बाद अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने उसके बाद राष्ट्रपति शासन भी लगा और अरविंद केजरीवाल 2015 में दोबारा मुख्यमंत्री बन गए. इस बीच देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बन गए लेकिन सिग्नेचर ब्रिज पूरा नहीं हो पाया. केजरीवाल सरकार में पर्यटन मंत्री बने जितेंद्र सिंह तोमर फिर कपिल मिश्रा और उसके बाद राजेंद्र पाल गौतम सभी ने अपने पर्यटन मंत्रालय संभालने के शुरुआती दिनों में ही सिग्नेचर ब्रिज का दौरा किया और उसको जल्द से जल्द पूरा करवाने का भरोसा दिया लेकिन ब्रिज पूरा नहीं हो सका.

आखिरकार पर्यटन मंत्रालय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सबसे करीबी और विश्वास प्राप्त उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिया गया और आखिरकार उन्हीं के मंत्रालय संभालते हुए सिग्नेचर ब्रिज पूरा हो गया है और आम जनता के लिए खुल रहा है.
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