'आधी जिंदगी सड़कों पर बीत रही है', दिल्ली-NCR में काम करने वाले लोगों ने बयां किया अपना दर्द

डीसीपी ट्रैफिक का कहना है कई जगह रोड़ों को चौड़ा करवाया जाना, अंडरपास का निर्माण करवाया जाना या फ्लाइओवर का निर्माण करना, इस तरीके के कई सजेशन्स अथॉरिटीज को दिए गए हैं और उन्होंने मानकर कई बार काम भी किया है.

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नई दिल्ली:

यूपी का हाईटेक शहर नोएडा में सुबह और शाम जाम से जूझता है. कई किलोमीटर लंबी गाड़ियों की कतारे देखी जा सकती हैं, जाम की  सामना करना दफ्तर से घर पर लौट रहे लोगो के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उनके जीवन का एक बड़ा समय जाम में निकल जो वे अपने परिवार के बिताना चाहते है, इसके साथ ही जाम लोगों को सेहत और आर्थिक रूप से भी काफी नुकसान पहुंचा रहा है.

क्या है पूरी कहानी?

दिल्ली से नोएडा और ग्रेटर नोएडा सफर करने वाले यात्रियों की कहानी काफी मार्मिक है. सुबह जाम, शाम को जाम... देखा जाए तो इनकी जिंदगी जाम में ही बीत रही है. यात्रियों का कहना है कि आए दिन हमें परेशानी होती है. घर से समय से पहले निकलने के बावजूद भी हम समय पर ऑफिस नहीं पहुंच पाते हैं. शाम को घर वापस लौटते समय हमें और भी तकलीफ होती है. 

ट्रैफिक पुलिस का क्या कहना है?

ट्रैफिक पुलिस के डीसीपी का कहना है कि कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर रोड की कैपेसिटी से ज्यादा जब यातायात हो जाता है तो पीक अवर्स में स्पेशल अर्ली मॉर्निंग जब लोग अपने दफ्तर कार्यालय को निकलते हैं और लेट इवनिंग में जाम की स्थिति दबाव की स्थिति बनती है. ऐसे ही कई क्षेत्र हैं जैसे डीएनडी, चिल्ला का क्षेत्र जो दिल्ली से जोड़ता है. और सेक्टर 62 क्षेत्र जो गाजियाबाद, दिल्ली के एक्सप्रेसवे से जोड़ता है. गौर सिटी का क्षेत्र जहाँ पर यातायात का दबाव वाहनों की कैपेसिटी से ज्यादा हो जाता है, ऐसी सभी जगह पर यातायात की जो ड्यूटी है उनको ऑन रोड सभी जगह सर्वे करके, इस तरीके से लगाया गया है कि जल्दी से जल्दी जो ट्रैफिक है उसको क्लियर कराया जा सके.

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डीसीपी ट्रैफिक का कहना है कई जगह रोड़ों को चौड़ा करवाया जाना, अंडरपास का निर्माण करवाया जाना या फ्लाइओवर का निर्माण करना, इस तरीके के कई सजेशन्स अथॉरिटीज को दिए गए हैं और उन्होंने मानकर कई बार काम भी किया है. आगे आने वाले समय में भी काम जारी है और आशा करते हैं कि अच्छी व्यवस्था मिलेंगे।

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ट्रैफिक के अधिकारी ये दावा भले कर रहे है कि ट्रैफिक में सुधार के इंतज़ाम किए जा रहे है. मेट्रो को इसलिए लाया गया था, सडको पर ट्रैफिक दबाव कम होगा, लेकिन नोएडा की सड़को से वाहन की संख्या कम नही हुई है. लेकिन सवाल ये है कि विकराल रूप लेती जा रही इस समस्या कब निजात मिल पायेगी.  

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