दिल्ली हिंसा : प्रवेश वर्मा का ऐलान- रतनलाल और अंकित शर्मा के परिवारों को दूंगा अपनी 1-1 महीने की सैलरी

दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा में घायल हुए करीब 300 लोग जीटीबी अस्पताल में भर्ती हैं.

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प्रवेश वर्मा पश्चिम दिल्ली से बीजेपी सांसद हैं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा में घायल हुए करीब 300 लोग जीटीबी अस्पताल में भर्ती हैं. हिंसा के बाद से कई लोग लापता हैं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) गुमशुदा लोगों की तलाश में जुटी है. इस हिंसा में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल (Ratan Lal) और खुफिया विभाग के कर्मचारी अंकित शर्मा (Ankit Sharma) की भी मौत हो गई. रतनलाल को शहीद का दर्जा दिया गया है और अंकित के परिजन इसकी मांग कर रहे हैं. पश्चिम दिल्ली से लोकसभा सांसद प्रवेश वर्मा (Parvesh Verma) ने रतनलाल और अंकित के परिवार को अपनी एक-एक महीने की सैलरी देने का ऐलान किया है.

प्रवेश वर्मा ने कुछ देर पहले ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने ट्वीट किया, "दिल्ली में हुई दुर्भाग्यपूर्ण हिंसा के दौरान अपना कर्तव्य निभाते हुए शहीद होने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल शहीद रतन लाल और आईबी ऑफिसर शहीद अंकित शर्मा के परिवारों को मैं बतौर सांसद मिलने वाली मेरी एक-एक महीने की तनख्वाह समर्पित करता हूं. जय हिंद."

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बताते चलें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई के दौरान चार बीजेपी नेताओं के विवादित बयानों पर नाराजगी जाहिर की थी. अदालत ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि अब तक इन नेताओं के खिलाफ केस क्यों नहीं दर्ज किया गया. इसको लेकर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था. अदालत में जिन चार नेताओं के विवादित बयानों को दिखाया गया था, उनमें से प्रवेश वर्मा भी एक हैं. बीजेपी सांसद के शाहीन बाग पर दिए विवादित बयान को कोर्टरूम में दिखाया गया था.

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गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में गोकुलपुरी के एसीपी अनुज कुमार भी घायल हुए हैं. हेड कांस्टेबल रतनलाल उनके ही रीडर थे. एसीपी के सामने ही डीसीपी शाहदरा अमित शर्मा को जान से मारने की कोशिश की गई थी. डीसीपी का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. अनुज कुमार ने बताया कि उस दिन के हालात देखकर एक बार उन्होंने सोचा था कि वह अपनी पिस्तौल से भीड़ पर फायरिंग करें, पर फिर विवेक से काम लिया और फायरिंग नहीं की.

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उन्होंने बताया कि वह लोग बहुत मुश्किल से भीड़ के बीच से बाहर निकल सके. एसीपी अनुज कुमार ने भजनपुरा चांदबाग इलाके में 24 फरवरी की हुई हिंसा में डीसीपी शाहदरा अमित कुमार की जान बचाई थी. उन्होंने खुद उपद्रवियों के निशाने पर होने के बावजूद डीसीपी शाहदरा की जान बचाते हुए उन्हें अस्पताल पहुंचाया था. एसीपी अनुज कुमार के सिर और पैर में काफी चोटें लगी हैं. वह घर पर बेड रेस्ट पर हैं.

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