दिल्ली-NCR में हवा हुई बेहज जहरीली, कई इलाकों में AQI पहुंचा 500 के पार

गुरुवार को आनंद विहार में 431, अलीपुर में 418 और बवाना में 460 अक्यूआई दर्ज की गई. चांदनी चौक में 455, आरके पुरम और पटपड़गंज में 444 और 423 एक्यूआई दर्ज की गई. राजधानी के कई इलाकों में एक्यूआई 400 के पार जा चुकी है.

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  • प्रदूषण के कारण AQI लगातार गंभीर श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है, जिससे लोगों को सांस लेने में समस्या हो रही है
  • 13 नवंबर को दिल्ली के कई इलाकों में घनी धुंध और प्रदूषण की मोटी परत छाई रही, विजिबिलिटी काफी कम हो गई थी
  • CPCB के अनुसार, आनंद विहार में सबसे अधिक एक्यूआई दर्ज किया गया जो 529 था, जो गंभीर स्तर दर्शाता है
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नई दिल्ली:

दिल्ली-एनसीआर में बीते कई दिनों से प्रदूषण के कारण लोगों के हाल बेहाल हो रखे हैं. हर रोज सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 के पार ही जाता हुआ नजर आ रहा है, जिस कारण लोगों की परेशानियां बेहद बढ़ रही हैं. ऐसा ही कुछ दृष्य 13 नवंबर को भी दिखाई दिया, जब दिल्ली के कई हिस्सों में सुबह-सुबह प्रदूषण की मोटी परत छाई हुई नजर आई. इस वजह से विजिबिलिटी भी काफी कम हो गई है. 

स्थिति को देखते हुए दिल्ली में GRAP-III लगा दिया गया है. हालांकि, फिर भी हालात बदलते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, दरियागंज में एक्यूआई 455 दर्ज किया गया जो गंभीर श्रेणी में आता है. घनी धुंध और जहरीली हवा की वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिस वजह से यात्रियों को मास्क पहने और चेहरा ढके हुए नजर आए. 

गुरुवार को आनंद विहार में 529, अलीपुर में 418 और बवाना में 460 अक्यूआई दर्ज की गई. चांदनी चौक में 455, आरके पुरम और पटपड़गंज में 444 और 423 एक्यूआई दर्ज की गई. राजधानी के कई इलाकों में एक्यूआई 400 के पार जा चुकी है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक बुधवार शाम 4 बजे 24 घंटे के औसत एक्यूआई 418 के साथ, दिल्ली हरियाणा के जींद के साथ देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा है. 

सीपीसीबी वर्गीकरण के अनुसार, एक्यूआई को शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा', 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक', 101 से 200 के बीच ‘मध्यम', 201 से 300 के बीच ‘खराब', 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर' माना जाता है. डीएसएस के अनुमानों के अनुसार, बृहस्पतिवार को पराली जलाने से दिल्ली के पीएम 2.5 स्तर में लगभग 10.1 प्रतिशत का योगदान होने का अनुमान है, जबकि परिवहन से संबंधित उत्सर्जन थोड़ा बढ़कर 19.3 प्रतिशत हो सकता है.

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