क्रिप्टोकरेंसीज में स्कैम्स में पिछले कुछ समय में काफी तेजी आई है. क्रिप्टो स्कैमर्स को पकड़ने में पुलिस की मदद करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), कानपुर एक टूल डिवेलप कर रहा है. इससे क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस का एनालिसिस कर उनके सही होने की जांच की जा सकेगी.
इस टूल से उत्तर प्रदेश की पुलिस को जाली क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस की पहचान करने में मदद मिलेगी. इसे 'HOP' कहा जा रहा है और यह अगले तीन महीनों में इस्तेमाल के लिए तैयार हो सकता है. IIT, कानपुर के प्रोफेसर Sandeep Shukla ने बताया, "यह टूल किसी विदेशी इक्विपमेंट से सस्ता है. सितंबर तक यह टूल पुलिस की क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड के मामलों की जांच में मदद के लिए तैयार हो जाएगा." HOP के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिली है. देश में क्रिप्टो से जुड़े स्कैम के मामले बढ़ रहे हैं. क्रिप्टो में ट्रेडिंग करने वाले लोगों को अक्सर सोशल मीडिया के जरिए निशाना बनाया जाता है.
Chainalysis की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष जाली क्रिप्टो वेबसाइट्स पर देश से लगभग 96 लाख विजिट्स हुए थे. इनमें से बहुत सी वेबसाइट्स को विजिटर्स की सहमति या जानकारी के बिना उनकी डिटेल्स लेने के लिए बनाया गया है. इससे इन लोगों के साथ दोबारा स्कैम होने का रिस्क रहता है. पिछले वर्ष दिसंबर में केरल में कम से कम 900 लोगों के साथ लगभग 1,200 करोड़ रुपये का फ्रॉड किया गया था. इन लोगों को एक इनिशियल कॉइन ऑफरिंग में इनवेस्ट करने का लालच दिया गया था.
महाराष्ट्र के पुणे में करोड़ों रुपये के एक अन्य क्रिप्टो स्कैम में पुलिस ने एक पूर्व IPS अधिकारी और एक सायबर एक्सपर्ट के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है. पुलिस ने मार्च में पूर्व IPS अधिकारी रवीन्द्र पाटिल और एक सायबर एक्सपर्ट को गिरफ्तार किया था. ये दोनों क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े फ्रॉड के मामलों की जांच में पुलिस की मदद करते थे. पुलिस ने बताया कि इन दोनों ने डिजिटल वॉलेट्स से जाली तरीके से करोड़ों रुपये अपने एकाउंट्स में ट्रांसफर कर पुलिस के साथ धोखाधड़ी की थी. इन दोनों को एक बड़े स्कैम का पता लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी जिसमें बिटकॉइन में इनवेस्टमेंट पर 10 प्रतिशत के मासिक रिटर्न का वादा किया गया था. वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले की जांच में दोनों को दोषी पाया था.
IIT कानपुर का टूल Crypto स्कैम पकड़ने में पुलिस की करेगा मदद
क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस का एनालिसिस करने वाले इस टूल को 'HOP' कहा जा रहा है और यह अगले तीन महीनों में इस्तेमाल के लिए तैयार हो सकता है
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क्रिप्टो में ट्रेडिंग करने वाले लोगों को अक्सर सोशल मीडिया के जरिए निशाना बनाया जाता है
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