Cryptocurrency : आखिर Bitcoin या दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें इतनी चढ़ती-उतरती क्यों रहती हैं?

Cryptocurrency Bitcoin: क्रिप्टो बाजार इतना अस्थिर क्यों है- इसका जवाब हो सकता है कि क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी बाजार अब भी अपने बिल्कुल शुरुआती स्तर पर है. एक करेंसी और निवेश के माध्यम के रूप में अभी इसकी शुरुआत हो ही रही है. जल्दी पैसा बनाने की धुन में निवेशक अपने पैसे के साथ प्रयोग कर रहे हैं.

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Cryptocurrency : क्रिप्टो बाजार में अस्थिरता रहने की कई वजहें हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

साल 2021 की शुरुआत ने क्रिप्टोकरेंसी के बाजार (Cryptocurrency Market) में जबरदस्त उफान देखा. इस साल क्रिप्टोकरेंसी ने जबरदस्त तरीके से निवेशक खींचे हैं. साल की शुरुआत में बड़ी संख्या में क्रिप्टो इकोसिस्टम से नए निवेशक जुड़े, हालांकि, उनका रुख थोड़ा सजग जरूर था. बाजार ने शुरुआत में उन्हें तगड़ा रिटर्न दिया, लेकिन अप्रैल के अंत और मई के शुरुआती हफ्तों में बाजार जिस तरह धड़ाम हुआ, उससे बहुत से निवेशकों का निवेश साफ हो गया. यह गिरावट कितनी बड़ी थी, यह इसी बात से समझ सकते हैं कि सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन अपने ऑल टाइम हाई 64,000 डॉलर यानी लगभग 47.14 लाख के लेवल से गिरकर 31,000 डॉलर यानी लगभग 22.8 लाख पर आ गया. हालांकि, इसके बाद बाजार में सुधार दिखा है, लेकिन वॉलेटिलिटी यानी अस्थिरता बनी हुई है.

क्रिप्टोकरेंसी इतनी अस्थिर क्यों होती हैं?

इस सवाल का एक सीधा जवाब यह हो सकता है कि- क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी बाजार अब भी अपने बिल्कुल शुरुआती स्तर पर है. एक करेंसी और निवेश के माध्यम के रूप में अभी इसकी शुरुआत हो ही रही है. जल्दी पैसा बनाने की धुन में निवेशक अपने पैसे के साथ प्रयोग कर रहे हैं. साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें कैसे फ्लक्चुएट होती हैं और क्या वो खुद इनकी कीमतों पर कोई असर डाल सकते हैं या नहीं.

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बिटकॉइन के उदाहरण से समझिए. इसकी कीमतों में जबरदस्त तरीके का मूवमेंट दिखता है. इस साल की शुरुआत में यह लगभग 30,000 डॉलर यानी लगभग 22.09 लाख के नीचे चल रहा था, लेकिन फरवरी में यह चढ़ने लगा और अप्रैल में इसका दोगुना हो गया. हालांकि, उसी महीने के अंत में यह जनवरी के अपने स्तर पर पहुंच गया. जून में इसमें रिकवरी दिखी और अगस्त में यह फिर 50,000 डॉलर यानी लगभग 33.83 लाख के पार पहुंच गया. हालांकि, यहां आने के बाद इसमें फिर गिरावट दिखी. दूसरी क्रिप्टोकरेंसी के साथ भी कुछ-कुछ यही कहानी है.

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क्या कोई दूसरे फैक्टर्स भी हैं, जो क्रिप्टो के प्राइस मूवमेंट पर असर डालते हैं? हां, यहां हम उनपर नजर डाल रहे हैं:

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1. करेंसी की उपयोगिता कितनी है

किसी भी क्रिप्टो कॉइन का कितने लोग इस्तेमाल करते हैं और किसलिए करते हैं, ये बात इसकी कीमत पर बड़ा असर डालती है. अगर ज्यादातर लोग कॉइन को होल्ड करने के बजाय उसे खर्च करते हैं तो उसकी कीमतें बढ़ेंगी. ऐसे में जब बहुत से रेस्टोरेंट्स और दूसरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स क्रिप्टोकरेंसी में पेमेंट लेने की घोषणाएं कर रहे हैं तो इनकी उपयोगिता बढ़ेगी और इससे इनकी कीमतें बढ़ेंगी.

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2. कितने कॉइन्स सर्कुलेशन में हैं

क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर कुछ लिमिट होती है. बिटकॉइन को डेवलप करते वक्त ही इसके प्रोटोकॉल में यह तय कर दिया था कि दुनिया में 21 मिलियन बिटकॉइन ही माइन यानी जेनरेट की जा सकेंगी. ऐसे में जब ज्यादा से ज्यादा लोग इंडस्ट्री से जुड़ेंगे तो कॉइन्स की उपलब्धता उतनी कम होती जाएगी, जिससे कि उसकी कीमतें ऊपर चढ़ेंगी. कुछ कॉइन्स ऐसी भी होती हैं, जो बर्निंग मैकेनिज्म का इस्तेमाल करती हैं, जिसमें किसी कॉइन की वैल्यू बढ़ाने के लिए सप्लाई में मौजूद कुछ हिस्से को बर्न कर दिया जाता है यानी खत्म कर दिया जाता है.

3. व्हेल अकाउंट

क्रिप्टो इकोसिस्टम में व्हेल अकाउंट्स दिलचस्प चीज हैं. व्हेल अकाउंट्स उन्हें कहते हैं जो बाजार में मौजूद किसी कॉइन के कुल सर्कुलेशन में से बड़े हिस्से का शेयर रखते हैं. इनके पास कॉइन्स की बड़ी होल्डिंग होती हैं और ये जब अपना हिस्सा बेचने लगते हैं तो कीमतें गिर जाती हैं. अगर कुछ व्हेल अकाउंट एक साथ किसी रणनीति के हिसाब से चलने लगें तो वो मार्केट को इंफ्लुएंस करने लगते हैं और कीमतें ऐसे प्रभावित होती हैं.

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