Cryptocurrency की कीमतें आखिर क्यों तेजी से चढ़ती-उतरती रहती हैं? कौन से फैक्टर्स डालते हैं असर?

अक्टूबर में बिटकॉइन ने अपना ऑल टाइम हाई छुआ है, लेकिन इसके बाद से लगातार इसकी कीमतों में गिरावट आई है. ऐसे में हम एक बार इस सवाल पर नजर डाल रहे हैं कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी कीमतें इतनी गिरती-चढ़ती क्यों रहती हैं.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
Cryptocurrency Price : क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव जारी.

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत में नियमन की गहन चर्चा शुरू हो गई. ऐसा कहा जा रहा है कि इस शीतकालीन सत्र में ही सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बिल ला सकती है. क्रिप्टोकरेंसी के बाजार (Cryptocurrency Market) में जबरदस्त तेजी और इसके अनरेगुलेटेड नेचर ने बड़ी चिंताएं खड़ी की हैं. वहीं, बाजार की चढ़ती-उतरती चाल ने कई पहलुओं पर चर्चा तेज की है. भारत में ही इस साल क्रिप्टोकरेंसी ने जबरदस्त तरीके से निवेशक खींचे हैं. साल की शुरुआत में बड़ी संख्या में क्रिप्टो इकोसिस्टम से नए निवेशक जुड़े, हालांकि, उनका रुख थोड़ा सजग जरूर था. बाजार ने शुरुआत में उन्हें तगड़ा रिटर्न दिया, लेकिन अप्रैल के अंत और मई के शुरुआती हफ्तों में बाजार जिस तरह धड़ाम हुआ, उससे बहुत से निवेशकों का निवेश साफ हो गया. यह गिरावट कितनी बड़ी थी.

अक्टूबर में बिटकॉइन ने अपना ऑल टाइम हाई छुआ है, लेकिन इसके बाद से लगातार इसकी कीमतों में गिरावट आई है. ऐसे में हम एक बार इस सवाल पर नजर डाल रहे हैं कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी कीमतें इतनी गिरती-चढ़ती क्यों रहती हैं.

क्रिप्टोकरेंसी इतनी अस्थिर क्यों होती हैं?

इस सवाल का एक सीधा जवाब यह हो सकता है कि- क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी बाजार अब भी अपने बिल्कुल शुरुआती स्तर पर है. एक करेंसी और निवेश के माध्यम के रूप में अभी इसकी शुरुआत हो ही रही है. जल्दी पैसा बनाने की धुन में निवेशक अपने पैसे के साथ प्रयोग कर रहे हैं. साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें कैसे फ्लक्चुएट होती हैं और क्या वो खुद इनकी कीमतों पर कोई असर डाल सकते हैं या नहीं.

Advertisement

ये भी पढ़ें : Crypto गलत हाथों में नहीं पड़ना चाहिए, युवाओं का नुकसान हो सकता है : क्रिप्टोकरेंसी पर PM नरेंद्र मोदी का अहम बयान

Advertisement

क्या कोई दूसरे फैक्टर्स भी हैं, जो क्रिप्टो के प्राइस मूवमेंट पर असर डालते हैं? हां, यहां हम उनपर नजर डाल रहे हैं:

Advertisement

किसी भी क्रिप्टो कॉइन का कितने लोग इस्तेमाल करते हैं और किसलिए करते हैं, ये बात इसकी कीमत पर बड़ा असर डालती है. अगर ज्यादातर लोग कॉइन को होल्ड करने के बजाय उसे खर्च करते हैं तो उसकी कीमतें बढ़ेंगी. ऐसे में जब बहुत से रेस्टोरेंट्स और दूसरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स क्रिप्टोकरेंसी में पेमेंट लेने की घोषणाएं कर रहे हैं तो इनकी उपयोगिता बढ़ेगी और इससे इनकी कीमतें बढ़ेंगी.

Advertisement
2. कितने कॉइन्स सर्कुलेशन में हैं

क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर कुछ लिमिट होती है. बिटकॉइन को डेवलप करते वक्त ही इसके प्रोटोकॉल में यह तय कर दिया था कि दुनिया में 21 मिलियन बिटकॉइन ही माइन यानी जेनरेट की जा सकेंगी. ऐसे में जब ज्यादा से ज्यादा लोग इंडस्ट्री से जुड़ेंगे तो कॉइन्स की उपलब्धता उतनी कम होती जाएगी, जिससे कि उसकी कीमतें ऊपर चढ़ेंगी. कुछ कॉइन्स ऐसी भी होती हैं, जो बर्निंग मैकेनिज्म का इस्तेमाल करती हैं, जिसमें किसी कॉइन की वैल्यू बढ़ाने के लिए सप्लाई में मौजूद कुछ हिस्से को बर्न कर दिया जाता है यानी खत्म कर दिया जाता है.

ये भी पढ़ें : 2022 में ये रहेंगे फेवरेट क्रिप्टो - बिटकॉइन, NFTs और बहुत कुछ...

3. व्हेल अकाउंट

क्रिप्टो इकोसिस्टम में व्हेल अकाउंट्स दिलचस्प चीज हैं. व्हेल अकाउंट्स उन्हें कहते हैं जो बाजार में मौजूद किसी कॉइन के कुल सर्कुलेशन में से बड़े हिस्से का शेयर रखते हैं. इनके पास कॉइन्स की बड़ी होल्डिंग होती हैं और ये जब अपना हिस्सा बेचने लगते हैं तो कीमतें गिर जाती हैं. अगर कुछ व्हेल अकाउंट एक साथ किसी रणनीति के हिसाब से चलने लगें तो वो मार्केट को इंफ्लुएंस करने लगते हैं और कीमतें ऐसे प्रभावित होती हैं.

Featured Video Of The Day
PM Modi Kuwait Visit: 10 साल, 20 देशों से सम्मान, PM मोदी ने रचा नया इतिहास
Topics mentioned in this article