Cryptocurrency पर अलग-अलग देशों में क्या हैं कानून-नियम? Crypto Bill के बहाने डालते हैं एक नजर

Cryptocurrency Bill लाए जाने की घोषणा के बाद पिछले हफ्ते क्रिप्टो बाजार धराशायी हो गया था. जब क्रिप्टो के नियमन की बात हो रही है तो एक बार देख लेते हैं कि दुनियाभर के बड़े देशों में क्रिप्टो को लेकर क्या स्टैंड है.

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इस हफ्ते संसद में आ सकता है Cryptocurrency Bill. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्रिप्टोकरेंसी बाजार के विनियमन के लिए भारत सरकार इस हफ्ते संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी बिल (Cryptocurrency Bill) पेश कर सकती है. सरकार ने पिछले हफ्ते स्पष्ट कर दिया था कि वो प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज़ को बैन करने का कदम उठा सकती है,  वहीं उसका लक्ष्य केंद्रीय रिजर्व बैंक की ओर से एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी लॉन्च करना है. ऐसे में ये तो तय है कि भारत में अब क्रिप्टोकरेंसी का बाजार फ्री-फ्लो नहीं रहेगा, अब तक सरकारी नियंत्रण से मुक्त रहे बाजार को सरकारी नियम-कानून मानने होंगे. 

क्रिप्टोकरेंसी बिल लाए जाने की घोषणा के बाद पिछले हफ्ते क्रिप्टो बाजार धराशायी हो गया था, हालांकि, बाजार विश्लेषकों की ओर से ये उम्मीद लगाए जाने पर बाजार थोड़ा स्थिर हो पाया कि सरकार अपना रुख थोड़ा उदार रख सकती है. जब क्रिप्टो के नियमन की बात हो रही है तो एक बार देख लेते हैं कि दुनियाभर के बड़े देशों में क्रिप्टो को लेकर क्या स्टैंड है.

यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका

US में ओवरऑल क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सकारात्मक रुख है. हालांकि, भारत की तरह ही वहां भी केंद्र और राज्य सरकार के बीच समानांतर नियम चलते हैं, जिससे कि अलग-अलग राज्यों का रुख एक दूसरे और देश की सरकार से अलग हो सकता है. लेकिन क्रिप्टो पर जब तक वहां के फाइनेंशियल सिस्टम पर बुरा असर नहीं पड़ता, तबतक तो माहौल समर्थन वाला ही है. यहां अलग-अलग बिजनेस के अवसरों को जगह मिलती है, ऐसे में क्रिप्टो पर बैन की बात अभी यहां मुश्किल ही है.

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यूनाइटेड किंगडम

यूके में भी क्रिप्टोकरेंसी को अभी कानूनी जामा नहीं पहनाया गया है, न ही इसे विनियमित करने के लिए कोई विधेयक लाया गया है. लेकिन, यूके ने क्रिप्टो ट्रेडिंग में डीलिंग करने के लिए रजिस्टर्ड बिजनेस को लाइसेंस देने का प्रावधान रखा है. और करेंसी ट्रेडिंग पर जिस तरह टैक्स लगाया जाता है, क्रिप्टो ट्रेडिंग पर भी यूके वैसे ही टैक्स वसूलता है.

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चीन

चीन क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बहुत सख्त है. इस साल के शुरुआती महीनों में बाजार को नीचे गिराने में चीन का बड़ा हाथ है. चीन ने शुरुआत में तो क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग और माइनिंग को मंजूरी दी थी, लेकिन इस साल इसने क्रिप्टो के खिलाफ कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए. पहले चीन ने क्रिप्टो माइनिंग बंद कराई और फिर इस साल जून में क्रिप्टो ट्रेडिंग को देश में बैन कर दिया. रिपोर्ट्स आई थीं कि चीन के एक्शन के चलते बहुत से क्रिप्टो माइनर्स को अपना पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर देश से बाहर शिफ्ट करना पड़ा था. जानकारी है कि चीन अपनी करेंसी युआन का एक डिजिटल वर्जन तैयार कर रहा है.

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यूरोपियन यूनियन

यूरोपियन यूनियन में 27 देश आते हैं. एक संगठन के तौर पर यूनियन का एकसमान फैसला ले सकती है, लेकिन 27 देशों का रुख एक समान होना मुश्किल है, ऐसे में कुछ देश अलग रास्ता भी अपना सकते हैं. वैसे ईयू के अबतक के स्टैंड को देखें तो यूरोपियन कमीशन ने पिछले साल सितंबर में Markets in Crypto-Assets Regulation (MiCA) विधेयक का ड्राफ्ट जारी किया था. जब यह विधेयक लागू होगा तो क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट यानी वित्तीय उपकरण के तौर पर देखा जाएगा, जिसके लिए नियामक संस्थाओं की मंजूरी लेनी जरूरी होगी.

अल सल्वाडोर

अगर क्रिप्टोकरेंसी पर अलग-अलग देशों के रुख के बारे में बात हो रही है, तो अल सल्वाडोर की बात जरूरी है. यह दक्षिण अमेरिकी देश ऐसा पहला देश है, जहां बिटकॉइन को यूएस डॉलर की तरह लीगल करेंसी का दर्जा दिया गया है. यहां के राष्ट्रपति नईब बुकुलेले ने बिटकॉइन को देश में गरीबी कम करने और बैंकिंग नेटवर्क में ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाने का रास्ता बताया है. हालांकि, उनके इस कदम का वहां खूब विरोध हुआ है.

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