Cryptocurrency: क्रिप्टो कॉइन और क्रिप्टो टोकन क्या अलग-अलग चीजें हैं? क्या होता है फर्क, जानें

हम अकसर क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो टोकन्स का इस्तेमाल एक ही अर्थ में कर लेते हैं, लेकिन दरअसल इन दोनों में ही कुछ मूलभूत अंतर होते हैं और इन्हें समझना जरूरी है. ये दोनों ही डिजिटल असेट यानी संपत्ति हैं, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी का अपना ब्लॉकचेन होता है, वहीं क्रिप्टो टोकन्स पहले से मौजूद किसी ब्लॉकचेन पर काम करते हैं. 

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Crypto Coins and Crypto Tokens : क्रिप्टो कॉइन्स और क्रिप्टो टोकन्स में कुछ अंतर होते हैं.

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) शब्द अब बहुत आम हो चुका है. अधिकतर लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पढ़ा होगा, बहुत लोग क्रिप्टो ट्रेडिंग से वाकिफ होंगे. हो सकता है कि हममें से कुछ लोगों ने क्रिप्टो में निवेश भी किया होगा. वैसे क्रिप्टो में निवेश करने से पहले जहां पक्की रिसर्च की जरूरत होती है, वहीं इसके टेक्निकल टर्म्स की भी जानकारी होना जरूरी है. हम अकसर क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो टोकन्स का इस्तेमाल एक ही अर्थ में कर लेते हैं, लेकिन दरअसल इन दोनों में ही कुछ मूलभूत अंतर (Difference between crypto coins and crypto tokens) होते हैं और इन्हें समझना जरूरी है. ये दोनों ही डिजिटल असेट यानी संपत्ति हैं, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी का अपना ब्लॉकचेन होता है, वहीं क्रिप्टो टोकन्स पहले से मौजूद किसी ब्लॉकचेन पर काम करते हैं. 

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी किसी ब्लॉकचेन की नेटिव करेंसी यानी उसकी अपनी करेंसी होती है, जैसे कि बिटकॉइन या एथर. और इसे उस ब्लॉकचेन के प्रोटोकॉल के हिसाब से जारी किया जाता है. अकसर क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल ट्रांजैक्शन फीस देने में करते हैं या फिर नेटवर्क को सेफ रखने के लिए यूजरों को इंसेंटिव देने के लिए होता है. क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल या तो कोई प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने में कर सकते हैं या फिर फ्लैट करेंसी यानी रुपया और डॉलर के साथ एक्सचेंज करने के लिए भी कर सकते हैं. इसके अलावा इसका स्टोर वैल्यू भी होता है. यानी कि आपने करेंसी में निवेश करके इसे स्टोर किया और फिर उसपर रिटर्न कमाया.

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क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड होती हैं. यानी कि वो किसी एक संस्था या अथॉरिटी के भरोसे नहीं चलती हैं. वो ब्लॉकचेन पर काम करती हैं और हर ट्रांजैक्शन का हिसाब एक सार्वजनिक बहीखाते यानी पब्लिक लेजर पर होता है. इससे नियमों को निष्पक्ष रूप से लागू करने में मदद मिलती है. इन नेटवर्क और पूरे क्रिप्टो स्ट्रक्चर को सुरक्षित रखने के लिए ये क्रिप्टो कॉइन्स क्रिप्टोग्राफी- एक एन्क्रिप्शन टेक्नीक- का इस्तेमाल करती हैं.

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क्रिप्टो टोकन क्या होता है? 

क्रिप्टो टोकन और क्रिप्टोकरेंसी में बहुत सी समानताएं होती हैं, लेकिन वो एक दूसरे से अलग भी होते हैं. जैसे उदाहरण के लिए इथीरियम एक ब्लॉकचेन है और इसका नेटिव टोकन एथर (ETH) है. लेकिन इथीरियम ब्लॉकचेन पर कई दूसरे टोकन- DAI, LINK, और COMP- भी काम करते हैं. क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही टोकन्स की भी एक वैल्यू होती है और इनको भी एक्सचेंज किया जा सकता है, लेकिन टोकन अपने आप में फिजिकल असेट यानी कोई संपत्ति, या फिर यूटिलिटी या सर्विस की तरह भी काम कर सकते हैं. जैसे उदाहरण के लिए, कुछ क्रिप्टो टोकन रियल एस्टेट या आर्ट को रिप्रेजेंट करते हैं. टोकन्स बनाने और उन्हें असाइन करने की प्रक्रिया को टोकनाइजेशन कहते हैं.

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क्रिप्टो इंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में टोकन्स की पॉपुलैरिटी और वैल्यू भी वैसे ही बढ़ेगी, लोग इन्हें संपत्ति के हिसाब से वैल् असाइन करते रहेंगे. टोकन्स को एक सीधे साफ शब्दों में बताएं तो इन्हें एक 'स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट' कहा जा सकता है. ये 'कॉन्ट्रैक्ट' किसी भी डिजिटल या फिजिकल असेट को रिप्रेजेंट कर सकते हैं. क्रिप्टो टोकन्स कुछ नियमों के हिसाब से चलते हैं और इनका एक ब्लॉकचेन एड्रेस होता है. और जिस किसी के पास उस एड्रेस का private key होगा, वो ही उसे एक्सेस कर पाएगा और उसे उस टोकन का मालिक या कस्टोडियन कहेंगे.

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निष्कर्ष

अकसर ही हम क्रिप्टो कॉइन्स और क्रिप्टो टोकन्स टर्म्स का इस्तेमाल एक ही अर्थ में कर लेते हैं, लेकिन ऊपर बताए गए फर्क से साफ है कि ये दोनों एक दूसरे से अलग भी हैं. ऐसे में अगर दोनों की बात एक साथ करनी हो तो आप इनके लिए क्रिप्टो असेट टर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं.

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