अफगानिस्तान में Crypto पर सख्ती, पुलिस ने बंद करवाए एक्सचेंज

अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक ने जून में फॉरेन एक्सचेंज की ट्रेडिंग पर रोक लगाई थी। इसी के तहत क्रिप्टो ट्रेडिंग को भी प्रतिबंधित किया गया है

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
तालिबान के नियंत्रण करने के बाद अफगानिस्तान में क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल बढ़ा था

Crypto पर अफगानिस्तान में कड़ी सख्ती देखने को मिल रही है. पिछले एक वर्ष से तालिबान की सरकार के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान में पुलिस क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को बंद कर रही है. अफगानिस्तान में लगभग तीन महीने पहले क्रिप्टो ट्रेडिंग पर प्रतिबंध लगाया गया था. पुलिस ने पिछले सप्ताह हेरात प्रांत में कम से कम 16 क्रिप्टो एक्सचेंजों को बंद किया है. 

स्थानीय मीडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इन एक्सचेंजों को बंद करने के दौरान कुछ गिरफ्तारियां भी हुई हैं. अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक ने जून में फॉरेन एक्सचेंज की ट्रेडिंग पर रोक लगाई थी. इसी के तहत क्रिप्टो ट्रेडिंग को भी प्रतिबंधित किया गया है. हेरात मनी एक्सचेंजर्स यूनियन के प्रमुख Ghulam Mohammad Suhrabi ने कहा, "इस्लामिक कानून के तहत फॉरेक्स ट्रेडिंग के लिए कोई निर्देश नहीं है. इसी वजह से हमने इस पर प्रतिबंध लगाया है. डिजिटल करेंसी एकाउंट्स देश के बार हैं और डिजिटल करेंसीज को फर्मों से खरीदा जाता है. हमारे लोगों को इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है और इस वजह से इनका इस्तेमाल नहीं करना बेहतर है." 

प्रतिबंध को लेकर सेंट्रल बैंक ने कहा था कि इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी मामला चलाया जाएगा. सेंट्रल बैंक ने बताया था कि उसने ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए कोई लाइसेंस जारी नहीं किए हैं और इस वजह से इस तरह की एक्टिविटीज गैर कानूनी हैं. तालिबान के नियंत्रण करने के बाद अफगानिस्तान में क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल बढ़ा था. विदेश से रेमिटेंस प्राप्त करने की सुविधा देने वाली फर्मों के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के कारण रेमिटेंस प्राप्त करना मुश्किल हो गया था. इस वजह से क्रिप्टोकरेंसीज के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हुई थी. अल जजीरा ने मार्च में एक रिपोर्ट में बताया था कि अफगानिस्तान में क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग के लिए एक वॉट्सऐप ग्रुप है जिसके हेरात में 13,000 से अधिक सदस्य हैं.

अफगानिस्तान में पश्चिमी देशों से सहायता प्राप्त करने में क्रिप्टोकरेंसीज से काफी मदद मिली थी. विदेश में मौजूद कुछ संगठनों ने सहायता उपलब्ध कराने के लिए क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल किया था. पिछले एक वर्ष में अफगानिस्तान की इकोनॉमी कमजोर हुई है. विदेश से मिलने वाली सहायता में कमी से इकोनॉमी पर बड़ा असर पड़ा है. बहुत सी फर्मों के अफगानिस्तान में कामकाज बंद करने से बेरोजगारी भी बढ़ी है और लोगों के लिए मूलभूत जरूरतों को पूरा करना भी मुश्किल हो गया है.  
 

Featured Video Of The Day
Parliament में धक्का मुक्की मामले ने पकड़ा तूल, Rahul Gandhi को घेरने में जुटी BJP | Sawaal India Ka