सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड : फर्जी पासपोर्ट बनाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 5 को किया गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस के स्पेशल स्टॉफ को सूचना मिली थी कि लॉरेंश बिश्नोई गिरोह से जुड़ा राहुल सरकार दक्षिणी दिल्ली के साकेत और एमबी रोड इलाके में आने वाला है.

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दिल्ली पुलिस के स्पेशल स्टॉफ ने आरोपियों को गिरफ्तार किया
नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस की स्पेशल स्टॉफ ने सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड की साजिश में शामिल आरोपियों का फर्सी पासपोर्ट बनाने के आरोप में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों की पहचान राहुल सरकार, नवनीत प्रजापति, अर्जित कुमार, सोमनाथ प्रजापति के रूप में की गई है. पुलिस ने इनके साथ एक महिला को भी गिरफ्तार किया है. बता दें कि दिल्ली पुलिस के स्पेशल स्टॉफ को सूचना मिली थी कि लॉरेंश बिश्नोई गिरोह से जुड़ा राहुल सरकार दक्षिणी दिल्ली के साकेत और एमबी रोड इलाके में आने वाला है. इस इनपुट पर काम करते हुए पुलिस टीम ने आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर साकेत मेट्रोस्टेशन और एमबी रोड के आसपास घेरबंदी शुरू की. कुछ देर बाद पुलिस टीम को एक कार दिखी, जिसपर उन्हें शक हुआ. पुलिस ने कार को रुकने का इशारा किया लेकिन कार चालक पुलिस की मौजूदगी देखकर वहां से भागने लगा. बाद में पुलिस टीम ने कार पर काबू पाया और कार से आरोपी राहुल सरकार को गिरफ्तार किया. 

पुलिस अधिकारी ने बताया कि राहुल कुमार ने ही अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर सचिन बिश्नोई और लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल के लिए फर्जी पासपोर्स बनाया था. इसी पासपोर्ट की मदद से दोनों मूसेवाला की हत्या से पहले ही देश छोड़कर भाग चुके थे. पुलिस की जांच में पता चला है कि आरोपी राहुल और उसके अन्य साथी आरोपियों के पासपोर्ट बनाने के लिए डेढ़ से दो लाख रुपये लेते थे. पुलिस अधिकारी के अनुसार अभी तक की जांच के अनुसार हमे पता चला है कि आरोपियों ने सचिन बिश्नोई का पासपोर्ट संगम विहार में अपने मकान मालिक तिलकराज टूटेजा के नाम पर बनाया था. पोसपोर्ट में अपने घर के पते और टूटेजा के दस्तावेजों का इस्तमाल किया गया है. इस पोसपोर्ट में सिर्फ फोटो सचिन बिश्नोई की थी. 

पुलिस को अपनी जांच में पता चला है कि सोमन्नाथ प्रजापति और नवनीत प्रजापति ने सचिन और अनमोल का फर्जी आधार कार्ड बनवाने में मदद की. नवनीत का तुग़लकबाद एक्सटेंशन में अपना आधार सेंटर है. सचिन पासपोर्ट दफ्तर में जाकर अपना फिंगर प्रिंट दिया था लेकिन उस डाक्यूमेंट में उसका नाम तिलक राज था. अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर दिल्ली के पासपोर्ट दफ्तर से इतनी बड़ी गलती कैसे हो सकती है. ऐसे कैसे हुआ कि किसी और का नाम, किसी और कि फोटो के नाम से पासपोर्ट जारी हो जाए और इसमे अंदर का कोई शख्स शामिल न हो. फिलहाल पुलिस आरोपियों से पूछताछ के साथ पासपोर्ट दफ्तर के लोगो की भी भूमिका की जांच कर रही है. पुलिस टीम को आरोपियों के पास से एक पिस्तौल, दो लॉपटॉप, चार मोबाइल फोन, एक डोंगल, दो कार, एक लग्जरी कार, कई फर्जी आधार कार्ड और कई अन्य दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. 

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