पोर्शे हादसा : ब्लड सैंपल में हेरफेर करने के मामले में ससून अस्पताल के दो डॉक्टर सस्पेंड

पुणे में पोर्शे कार दुर्घटना में शामिल नाबालिग चालक के रक्त के नमूने में कथित हेरफेर के सिलसिले में दो दिन पहले दो डॉक्टरों और एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया था

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
पुणे:

महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को सरकारी ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों और एक कर्मचारी को निलंबित कर दिया, जिन्हें पुणे में पोर्शे कार दुर्घटना में शामिल नाबालिग चालक के रक्त के नमूने में कथित हेरफेर के सिलसिले में दो दिन पहले गिरफ्तार किया गया था.

इसके अलावा, बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून सिविल अस्पताल के डीन डॉ विनायक काले को जबरन अवकाश पर भेज दिया गया है और उनका अतिरिक्त प्रभार डॉ चंद्रकांत म्हस्के को सौंप दिया गया है.

महाराष्ट्र मेडिकल शिक्षा विभाग के आयुक्त की सिफारिश पर फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ अजय तावड़े और ससून अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ श्रीहरि हल्नोर को निलंबित करने का आदेश दिया गया.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राज्य सरकार को आरोपों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट मिल गई है. समिति की रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इन दोनों अधिकारियों (डॉक्टरों) को निलंबित करने का आदेश जारी किया है.''

डॉ चंद्रकांत म्हस्के पुणे जिले के बारामती स्थित पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी सरकारी मेडिकल कॉलेज के डीन हैं.

पुणे पुलिस ने ससून अस्पताल के दो डॉक्टरों और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी अतुल घाटकांबले को गिरफ्तार किया था, जब यह पता चला कि किशोर चालक के रक्त के नमूने कूड़ेदान में फेंक दिए गए थे और उनकी जगह किसी अन्य व्यक्ति के नमूने डाले गए थे, जिसमें शराब का कोई अंश नहीं था. तीनों को 30 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.

पुलिस के अनुसार, 19 मई की सुबह पुणे शहर के कल्याणी नगर इलाके में दो आईटी पेशेवरों को टक्कर मारने की घटना के समय नाबालिग चालक नशे में था.

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इस बीच, अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से जुड़े मुश्रीफ ने स्वीकार किया कि डॉ. तावड़े की नियुक्ति पार्टी विधायक (सुनील टिंगरे) द्वारा सौंपे गए पत्र के आधार पर की गई थी.

जब मुश्रीफ से पूछा गया कि क्या उन्हें डॉ तावड़े के खिलाफ पिछले आरोपों के बारे में जानकारी है, तो मंत्री ने कहा, ‘‘मेरे पास कोई दैवीय शक्ति नहीं है, जिससे मैं अपने विभाग के प्रत्येक व्यक्ति और उनके कार्यों के बारे में सब कुछ जान सकूं.''

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मंत्री ने कहा कि विधायक ने डॉ तावड़े की नियुक्ति की सिफारिश की थी और उन्होंने इसे मंजूरी दी. मुश्रीफ ने दावा किया, ‘‘जब सिफारिश की गई थी, तो डीन को हमें इस व्यक्ति की साख के बारे में बताना चाहिए था. मैं 24 मई तक विदेश में था और मुझे 26 मई को पूरी घटना के बारे में पता चला.''

उन्होंने कहा कि रक्त के नमूने बदलना बहुत दुखद बात है. मंत्री ने कहा, ‘‘अदालतें पूरी तरह से रक्त परीक्षण और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के नतीजों पर निर्भर करती हैं. मैंने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वे अपराधियों को ऐसा सबक सिखाएं कि उन्हें जीवन भर याद रहे. इसलिए, हमने आज (निलंबन का) फैसला लिया है.''

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अस्पताल कर्मचारी की भूमिका के बारे में आदेश में कहा गया ‘‘जांच में पाया गया है कि घाटकांबले ने 19 मई की रात को किशोर के रक्त के नमूने बदल दिए और उसे सीलबंद लिफाफे में दे दिया. उसे 30 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. चूंकि वह 48 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रहेगा, इसलिए घाटकांबले को ड्यूटी से निलंबित कर दिया गया है.

कार दुर्घटना पर रोष के बीच पुलिस ने जांच को रोकने की कोशिश करने के आरोप में नाबालिग के पिता और दादा को गिरफ्तार किया था.

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किशोर के दादा ने कथित तौर पर 19 मई से 20 मई तक परिवार के ड्राइवर को गलत तरीके से अपने बंगले में बंद रखने की कोशिश की थी और उस पर दुर्घटना का दोष अपने ऊपर लेने का दबाव बनाया था.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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