महाराष्ट्र में हिंदी बोलने पर दुकानदार से मारपीट, FIR के बाद भी मारपीट को जायज ठहरा रहे MNS नेता

महाराष्ट्र में हिंदी बोलने वालों के साथ मारपीट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. आलम ये है कि मनसे कार्यकर्ता हिंदी बोलने वाले किसी भी शख्स को जहां-तहां पकड़कर पीट देते हैं. हद तो तब हो गई जब मनसे कार्यकर्ताओं ने मिठाई की दुकान पर पहुंचकर उसे बस इसलिए मारा क्योंकि वो हिंदी में बात कर रहा था.

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महाराष्ट्र में हिंदी बोलने वाले के साथ मारपीट
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  • मीरा रोड पर एक दुकानदार के साथ हिंदी बोलने पर मारपीट
  • वीडियो वायरल होने के बाद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
  • मनसे नेता माफी मांगने के बजाय मारपीट को ठहरा रहे जायज
  • गिरफ्तार आरोपियों के बयान आज किए जाएंगे दर्ज
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मुंबई:

महाराष्ट्र में हिंदी का विरोध कोई नई बात नहीं और हिंदी बोलने के साथ मारपीट का सिलसिला भी. जब राज्य में त्रिभाषा फार्मूले का लेकर बहस हो रही है, तब भी महाराष्ट्र के मीरा रोड से एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कुछ लोग दबंगई के साथ दुकानदार के साथ बस इसलिए मारपीट करते हैं क्योंकि उसने हिंदी में बात की. हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ी और आरोपियों पर एफआईआर भी दर्ज हो गई. भले ही इस मामले में पुलिस का एक्शन जारी है लेकिन मनसे नेता इस मारपीट को जायज ठहरा रहे हैं. इस बीच गिरफ्तार किए गए आरोपी आज अपना बयान दर्ज कराएंगे.

आरोपी आज दर्ज कराएंगे अपना बयान

मीरा रोड भाषा विवाद मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद सभी आरोपी आज डीसीपी ऑफिस जाकर अपना बयान दर्ज करेंगे. इसी बीच मनसे ने पुलिस से शिकायत करते हुए सवाल उठाया है कि जब वायरल वीडियो में केवल तीन लोग बाबूलाल को मारते नजर आ रहे हैं तो एफआईआर में सात लोगों के नाम क्यों दर्ज किए गए. पुलिस की इजाजत न मिलने के बावजूद दुकानदार बाबूलाल चौधरी आज व्यापारी संगठन के साथ मोर्चा निकालने वाले है. जबकि सूत्रों के अनुसार मनसे की तरफ से भी जवाबी मोर्चा निकालने की चेतावनी दी गई थी, जिसे परमिशन नहीं दिया गया.

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क्या है मामला

29 तारीख की रात करीब 10:30 बजे, मीरा रोड की जोधपुर स्वीट्स दुकान के मालिक बाबूलाल चौधरी पर मनसे कार्यकर्ताओं ने अचानक हमला कर दिया. कारण? सिर्फ यह कि बाबूलाल ने मराठी में बात नहीं की. हैरानी की बात ये कि कोई पुराना विवाद या हिसाब-किताब नहीं, सिर्फ भाषा को लेकर बवाल. मराठियों के इस रवैये से बाबूलाल अब दहशत में हैं. पीड़िता बाबूलाल चौधरी ने कहा कि मैं अपनी दुकान पर बैठा था, तभी मनसे के कुछ लोग आए और बोले, ‘मराठी में बात करो, कहां रहते हो?' मैंने कहा, हम सभी भाषाएं बोलते हैं. फिर भी उन्होंने मुझ पर हमला कर दिया.अब मैं डर में हूं, मेरी इज्जत को ठेस पहुंची है. हमले का शिकार सिर्फ दुकान मालिक नहीं, बल्कि कर्मचारी बाघराम भी हुए. उन्हें मराठी न बोलने पर पिटाई और दुकान तोड़ने की धमकी दी गई. बाघराम ने कहा कि वो आए और बोले, ‘कौन सी भाषा बोलते हो?' हमने कहा, ‘सब बोलते हैं.' फिर भी उन्होंने कहा, ‘मराठी बोलो, वरना पीटेंगे, दुकान तोड़ देंगे.'

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माफी मांगने को तैयार नहीं मनसे

घटना के बाद मनसे से माफी की उम्मीद बेकार रही. उल्टा, मनसे की राज्य उपाध्यक्ष रेशमा तपासे ने हमले का बचाव किया और कहा कि जरूरत पड़ी तो भविष्य में भी ऐसा ही किया जाएगा. MNS राज्य उपाध्यक्ष रेशमा तपासे ने कहा कि हमें नहीं लगता कि हमने कुछ गलत किया. मराठी का अपमान करने वालों को उसी भाषा में जवाब मिलेगा. मैं मराठी सिखाऊंगी, लेकिन मराठी न बोलने पर हिंसा गलत नहीं है.  मीरा रोड पुलिस ने सात मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज की है. सभी को नोटिस जारी कर दो दिन में पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया है. राज्य में हिंदी विरोध के बीच इस घटना ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. हर पार्टी ने अपने बयान दिए, लेकिन भाषा की राजनीति में लोकतंत्र की मर्यादा कहीं खो सी गई है.

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हिंदी बोलने वालों के साथ मारपीट पर सियासत

महाराष्ट्र मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी बोलेंगे, लेकिन हम दूसरी भाषाओं का अपमान नहीं करेंगे. सरकार गुंडागर्दी नहीं चलने देगी.  NCP (SP) के रोहित पवार ने कहा कि  मराठी बोलने को मजबूर कर सकते हैं, मार नहीं सकते. भाषा के लिए हिंसा नहीं, संवाद जरूरी है.  UBT Sena के आनंद दुबे ने कहा कि किसी हाल हिंसा का समर्थन नहीं. राज्य की भाषा सीखना जरूरी है, लेकिन जबरन थोपना गलत है. कांग्रेस के अतुल लोंढे ने कहा कि सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए। संस्कृति का सम्मान हो, लेकिन डर का माहौल नहीं. 

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इस तरह का बर्ताव गलत है...

इस घटना ने आम लोगों में भी गुस्सा भड़का दिया है. सवाल उठता है कि क्या मराठी भाषा का सम्मान डर और हिंसा से हासिल होगा?  एक स्थानीय शख्स ने कहा कि हमें भी मराठी आती है, लेकिन इस तरह का बर्ताव गलत है. मराठी का सम्मान जरूरी है, लेकिन गुंडागर्दी से नहीं.   भाषा संस्कृति का आईना होती है, लेकिन क्या इसका सम्मान लाठी से तय होगा? मीरा रोड की यह घटना महज एक हादसा नहीं, बल्कि उस तनाव की झलक है जो अब शहर की फिजाओं में घुल रहा है.

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