मूक बधिर की हत्या की गुत्थी सुलझाने में सिपाही का मूक बधिर बेटा यूं बना मदगार

Deaf and Mute murder case : मुंबई का यह मर्डर केस बेहद पेचिदा था. मरने और मारने वाले सभी मूक बधिर थे. ऐसे में हत्या की परतों को खोलना बेहद मुश्किल था. पढ़ें कैसे सुलझा मामला...

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मुंबई के एक मूक बधिर को उसके ही दोस्तों ने मार दिया था.

Deaf and Mute murder case : मुंबई में पिछले हफ्ते एक हत्याकांड ने सबको चौंका दिया था. दो मूक बधिर दोस्तों ने अपने ही मूक बधिर दोस्त की हत्या कर उसका शव एक लाल बैग में भर ले जा रहे थे, लेकिन दादर रेल्वे स्टेशन पर आरपीएफ ने शक होने पर बैग की जांच की तो उसमे शव देख कर उनके भी होश उड़ गए. पुलिस के सामने बड़ी समस्या थी कि इन मूक बधिर आरोपियों से पूछताछ कैसे करे? उनकी भाषा पुलिस के समझ के परे थी. ऐसे में एक पुलिस सिपाही का मूक बधिर बेटा मददगार बन कर आया और पूरी गुत्थी को सुलझा दिया.

ऐसे की मदद

5 अगस्त की रात दादर स्टेशन पर पकड़ी गई लाश की गुत्थी सुलझाने के आरए किदवई पुलिस थाने के सिपाही राजेश सातपुते ने अपने मूक बधिर बेटे गौरव सातपुते को बुलाया. पुलिस के लिखे सवालों को उसने इशारों से आरोपियों से पूछा और उसके जवाबों को पुलिस को बताकर हत्या की गुत्थी सुलझाने में मदद की. पुलिस इस मामले मे अब दो मूक बधिर आरोपियों के साथ मृतक की पत्नी को भी गिरफ्तार कर चुकी है. हत्या की गुत्थी सुलझाकर गुमनाम गौरव सातपुते आज हीरो बन चुका है. उसके उल्लेखनीय काम के लिए मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक फंसलकर उसे सम्मानित कर चुके हैं.

पिता बेहद खुश

एनडीटीवी को राजेश सातपुते ने बताया कि बेटे के इस काम से उनका नाम भी ऊंचा हुआ है. मै बहुत खुश हूं. कमिश्नर साहब ने कहा कि गौरव ने गौरवशाली काम किया है. ये मेरा इकलौता बेटा है. दो बेटी भी हैं. वो दोनों नॉर्मल हैं. हम पति पत्नी कभी बेटे से निगेटिव बर्ताव नहीं करते इसलिए तो आज मेरे कहने पर चल रहा है. गौरव भी अपने पिता को गर्व से भरा देखकर काफी खुश है. उसे एहसास है कि उसने कुछ बड़ा किया.

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