भारत का वह क्रिकेटर जो हॉकी भी खेलता था, किस्मत ऐसी की क्रिकेट खेलने के कारण ओलंपिक गोल्ड जीतने से चूक गया

Who is MJ Gopalan, भारत के एमजे गोपालन (MJ Gopalan) एक ऐसे खिलाड़ी थे जो क्रिकेटर के साथ-साथ हॉकी खिलाड़ी भी थे. जो भारत के लिए हॉकी और क्रिकेट भी खेल चुके हैं.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
MJ Gopalan in Cricket, MJ Gopalan in Hockey, MJ Gopalan in Olympics, Paris Olympics, MJ Gopalan

Who is MJ Gopalan: पेरिस ओलंपिक(Paris olympics 2024) का आगाज होने वाला है. 26 जुलाई से 11 अगस्त तक खेल का सबसे बड़ा त्योहार मनाया जाएगा. ओलंपिक एक ऐसा खेल है जिसमें खिलाड़ी मेडल जीतकर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कराना चाहते हैं. लेकिन कुछ खिलाड़ी की किस्मत ही ऐसी होती है जिसे ओलंपिक में मेडल जीतने का मौका मिलता है. ऐसे में आज हम एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में बात करेंगे जो क्रिकेटर था और साथ ही हॉकी भी खेलता था. वह खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि  भारत के एमजे गोपालन (MJ Gopalan) थे. एमजे गोपालन क्रिकेट के अलावा हॉकी भी खेला करते थे. एक समय उनके करियर में एक ऐसा पल आया था जिसमें उनको हॉकी और क्रिकेट में से किसी एक को चुनना था. तब गोपालन ने क्रिकेट को चुना था जिसके कारण  ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने का सपना टूट गया था. 

कौन थे एमजे गोपालन
मद्रास प्रांत में जन्मे गोपालन एक क्रिकेटर और फील्ड हॉकी में बेहद प्रतिभाशाली सेंटर-फ़ॉरवर्ड खिलाड़ी थे. वह बचपन से ही क्रिकेट के दीवाने थे और तेज़ गेंदबाज़ के तौर पर खेलते थे. गोपालन स्थानीय क्रिकेट जगत में अपनी जबरदस्त गेंदबाजी के लिए जाने जाते थे. साल  1930-31 में विजयनगरम XI और मद्रास के बीच हुए मैच में मद्रास की ओर से खेल रहे गोपालन का सामना इंग्लैंड के जैक हॉब्स और हर्बर्ट सटक्लिफ से हुआ था.  यह वह समय था जब सर डॉन ब्रैडमैन एक क्रिकेटर के रूप में अपनी शुरुआत कर रहे थे और जैक हॉब्स को उस समय दुनिया का सबसे बेहतरीन खिलाड़ी माना जाता था. क्रिकेट इतिहास के महानतम खिलाड़ियों के खिलाफ़ गोपालन ने बिना किसी घबराहट के साथ गेंदबाजी की और एक ही मैच में दो बार हॉब्स को आउट किया. यहां से गोपालन के क्रिकेट करियर का आगाज हुआ था. 

Advertisement
Advertisement

भारत के लिए खेल पाए केवल एक टेस्ट मैच , ऱणजी ट्रॉफी इतिहास में पहला ओवर फेंकने वाले पहले गेंदबाज थे. 
गोपालन भारत के लिए एक ही टेस्ट मैच खेल पाए जो  उन्होंने साल 1933-44 के सीजन में कोलकाता में इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया था. इस मैच में उन्होंने  गेंदबाजी करते हुए 1/39 का आंकड़ा हासिल किया था. इसके अलावा, गोपालन साल 1934 में भारत के प्रमुख घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी में गेंदबाजी करने वाले पहले गेंदबाज बने थे.  अपने 78 मैचों के प्रथम श्रेणी करियर में, गोपालन ने 24.92 की औसत से 2,916 रन बनाए जिसमें एक शतक भी शामिल है. उन्होंने 9 बार पांच विकेट और 3 बार दस विकेट लिए और  24.20 की औसत से 194 विकेट अपने नाम करने में सफलता हासिल की थी. 

Advertisement

कैसा रहा हॉकी करियर
हॉकी में भी गोपालन कमाल के खिलाड़ी थे.  गोपालन की हॉकी प्रतिभा को सबसे पहले द हिंदू के पहले खेल पत्रकार मुरुगेसा मुदलियार ने पहचाना था. मुदलियार ने गोपालन को उचित हॉकी पोशाक दिलाने में मदद की और उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित किया था.  गोपालन का दोनों खेलों के प्रति इतना प्यार था कि वह सुबह क्रिकेट का अभ्यास करते थे, फिर दिन में काम करते थे और शाम को हॉकी का अभ्यास करते थे. गोपालन भारतीय हॉकी टीम के साथ श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के दौरे पर भी गए थे. इन दौरों के दौरान भारत ने कुल 48 मैच खेले, जिनमें से गोपालन ने कुल 39 मैचों में स्कोर शीट में अपना नाम दर्ज कराया था. 

Advertisement

जब हॉकी और क्रिकेट में से किसी एक को चुनना पड़ा
गोपालन के करियर में एक ऐसा वक्त भी आया जब उन्हें हॉकी और क्रिकेट में से किसी एक को चुनना पड़ा. तब गोपालन ने क्रिकेट को चुना था. दरअसल, गोपालन क्रिकेट और हॉकी दोनों अच्छे से खेलते थे. जल्द ही एक समय ऐसा आया जब उन्हें दोनों में से किसी एक को चुनना था. गोपालन को साल 1936 में भारतीय क्रिकेट टीम के इंग्लैंड दौरे के लिए चुना गया था. लगभग उसी समय उन्हें 1936 के बर्लिन ओलंपिक के लिए राष्ट्रीय हॉकी शिविर के लिए भी चुना गया था. तब उन्हें दोनों में से एक किसी एक को चुनना था. 

क्रिकेट के कारण टूटा गोल्ड जीतने का सपना
गोपालन जानते थे कि मोहम्मद निसार और अमर सिंह जैसे बेहतर गेंदबाजों की मौजूदगी के कारण उन्हें दौरे में खेलने के ज़्यादा मौके नहीं मिलेंगे, इसके बाद भी गोपालन ने क्रिकेट को चुना. उनका यह फैसला उनके लिए गलत साबित हुआ. क्योंकि उन्हें इंग्लैंड दौरे पर एक भी टेस्ट मैच खेलने का मौका नहीं मिला, वहीं, भारत ने सीरीज़ भी आसानी से गंवा दी. दूसरी ओर, भारतीय हॉकी टीम ने बर्लिन ओलंपिक में अपना दबदबा बनाया और लगातार तीसरा  गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. वहीं, गोपालन ने क्रिकेट को चुना था. लेकिन उनका करियर क्रिकेट में कभी आगे नहीं बढ़ सका. अगर गोपालन ने हॉकी कैंप में जाने का फैसला किया होता तो शायद उन्हें ओलंपिंक टीम में भी चुन लिया जाता और उनके खाते में ओलंपिक का गोल्ड मेडल भी हो सकता था. 

2003 में हुआ निधन
गोपालन का निधन  21 दिसंबर 2003 के दिन 94 साल 198 दिन की उम्र में हुआ  था. 

ओलंपिक में भारत के नाम 34 मेडल
भारत के नाम ओलंपिक में अबतक केवल 34 मेडल जीते हैं जिसमें 8 गोल्ड मेडल, 13 सिल्वर और 13 ब्रॉन्ज मेडल हैं. पिछले ओलंपिक में भारत ने 7 मेडल जीते थे जिसमें नीरज चोपड़ा ने भारत को गोल्ड मेडल जीताया था. इस बार भी उम्मीद है कि भारतीय दल ओलंपिक में कमाल का खेल दिखाएगा. 

Featured Video Of The Day
SC On Rahul Gandhi: Savarkar Controversy पर SC ने राहुल को लगाई फटकार, 'उन्होंने हमें आजादी दिलाई'
Topics mentioned in this article