- सनातन हिंदू एकता पदयात्रा आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में सात नवंबर से शुरू हुई है
- यह पदयात्रा दिल्ली से वृंदावन तक 145 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 16 नवंबर तक चलेगी
- भारतीय क्रिकेटर उमेश यादव ने इस पदयात्रा में भाग लिया और इसे सनातन धर्म की एकजुटता की पहल बताया
Umesh Yadav joins Bageshwar Dham Sarkar: सनातन धर्म की एकजुटता का संदेश लेकर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा शुरू हो चुकी है. यह यात्रा 7 नवंबर से शुरू हुई है, जो 16 नवंबर तक चलेगी. यह महायात्रा दिल्ली से वृंदावन तक की होगी. वहीं, भारतीय क्रिकेटर उमेश यादव बागेश्वर धाम सरकार आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ चल रहे सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 2025 के दौरान शामिल हुए. इस मौके पर उमेश यादव ने कहा, "यह सब भगवान की कृपा से है. हम तो बस भगवान का काम कर रहे हैं. सभी को अपने धर्म और ईश्वर के बारे में पता होना चाहिए. यह पदयात्रा हिंदुओं को एकजुट करने के लिए है. महाराज की ओर से की गई यह एक बहुत अच्छी पहल है और सभी सनातनी भाइयों को इसका समर्थन करना चाहिए. इसीलिए मैं यहां हूं. भगवान की इच्छा से ही मैं यहां आ पाया हूं".
पहलवान खली भी पहुंचे पदयात्रा में शामिल होने
पहलवान खली भी 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा में शामिल हुए हैं. खली ने कहा कि, 'इस यात्रा में सभी को शामिल होना चाहिए, इस पदयात्रा में शामिल होकर इसे सफल बनाना चाहिए."
बता दें कि सात नवंबर को दोपहर एक बजे से रात 10 बजे तक और आठ नवंबर को सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे तक जीर खोड़ से डेरा मोड़ और वापसी मार्ग पर वाहनों के चलने पर प्रतिबंध रहेगा.
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "यह 145 किलोमीटर लंबी यात्रा राष्ट्रगान और हनुमान चालीसा के उद्घोष के साथ प्रारंभ होगी और प्रतिदिन सात शपथों के साथ आगे बढ़ेगी. उनकी यह यात्रा किसी धर्म के खिलाफ नहीं है. यह ईसाई और मुस्लिम के खिलाफ नहीं है, बल्कि हिंदुओं को जगाने के लिए है."
उन्होंने कहा कि "यह हिंदुओं की अगली पीढ़ी को बचाने के लिए है ताकि वे मुस्लिम न बनें। हम जातिवाद में न बंटें. जातिवाद से ऊपर यह राष्ट्रवाद की यात्रा है. कुछ लोग तिरंगे पर चांद चाहते हैं. हम चांद पर भारत को चाहते हैं.हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना तभी पूर्ण होगी, जब आम जनमानस से यह आवाज आए.
(भाषा के इनपुट के साथ)














