इन 5 बड़ी घटनाओं ने विश्व कप इतिहास में चार चांद लगा दिए, एकदम बदल गई क्रिकेट

पहली बार क्रिकेट विश्व कप साल 1975 में आयोजित हुआ था. और तब से अभी तक करीब 48 साल के सफर में इसमें कई बदलाव आए, कई बड़ी घटनाएं घटीं, जो करोड़ों फैंस के मानस पटल पर अंकित हो गईं.

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साल 1983 में विश्व कप की खिताबी जीत ने भारत ही नहीं, बल्कि महाद्वीप में क्रिकेट क्रांति ला दी
नई दिल्ली:

साल 1975 में आयोजित हुए पहले क्रिकेट विश्व कप के बाद से इसने अपने सफर के करीब 48 साल पूरे कर लिए हैं. पहली बार तस्वीर ऐसी थी कि मैच 60-60 ओवरों का होता था. और तब से लेकर आज तक कई बड़े बदलाव भी हुए. मसलन साल 1992 में पहली बार रंगीन ड्रेस और सफेद गेंद के साथ दूधिया रोशनी में आयोजन, तो टी20 के पदार्पण के बाद से खेल शैली में हुए बदलाव सहित कुछ ऐतिहासिक पल ऐसे रहे, जिन्होंने विश्व कप को एक अलग ही आकर्षण प्रदान किया. ऐसी तस्वीरें, जो इस महाकुंभ की मानो प्रतीक बन गईं. ऐसी घटनाएं, जिन्होंने भारत सहित समूचे क्रिकेट जगत पर बहुत ही गहरा असर डाला. चलिए ऐसी ही उन 5 घटनाओं के बारे में जान लीजिए, जिन्होंने खेल और  जनमानस को बदलने का काम किया और जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

1.  कपिल देव की साल 1983 की खिताबी जीत

साल 2011 में टीम मेजबान होने के नाते टीम धोनी पर World Cup  जीतने का दबाव था और भारत इसमें सफल रहा, लेकिन साल 1983 में किसी ने भी इस बात की उम्मीद नहीं ही की थी कि भारत गत चैंपियन विंडीज को पटखनी देकर खिताब अपनी झोली में डालेगा. यहां तक की टीम के खिलाड़ियों को भी खुद पर भरोसा नहीं था. लेकिन जब टीम कपिल ने यह करिश्मा किया, तो इसका असर खासकर समूचे भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ बाकी देशों पर भी पड़ा. और इस जीत ने खेल को एक ही साथ कई देशों में विकसित करने का काम किया. खासतौर पर भारत और पाकिस्तान में इस खेल के दीवानों की बाढ़ आ गई.  खिताबी जीत में कपिल देव का रिचर्ड्स का कैच, बलविंदर संधु की बेहतरीन गेंदबाजी, मोहिंदर अमरनाथ का स्टंप्स उखाड़कर पवेलियन की ओर भागना और लॉर्ड्स की बॉलकनी में कपिल देव के हाथों में कप  वे तस्वीरें हैं, जो करोड़ों भारतीयों के ज़हन में हमेशा कौंधती रहेंगी. 


2. जोंटी रोड्स का इंजमाम-उल-हक का रन आउट करना

साल 1992 विश्व कप में इस नजारे से पहले खेल में बल्लेबाजी और गेंदबाजी की ही बात होती थी, लेकिन जोंटी रोड्स का अंदाज जिसने भी देखा, वह अभिभूत होकर रह गया. फील्डिंग ने मानो भीड़ में चीरते हुए अपनी जगह बना ली. और इसके नायक बने जोंटी रोड्स और उनकी तस्वीर उस दौर में पत्रिकाओं और टेलीविजन पर छा गई. अगर वह दौर वायरल का होता, तो यह विजुअल एक नया रिकॉर्ड बना देता. उस दौर में मैदानों पर युवा जोंटी की नकल करते दिखाई पड़े. दक्षिण अफ्रीका-पाकिस्तान मुकाबले में इंजमाम ने रन लेने की कोशिश की. क्रीज से कुछ कदम आगे निकलने वाले इंजी को जब दूसरे छोर से वापस भेजा, तो पांच सेकेंड के भीतर ही उनकी दुनिया खत्म हो गई. प्वाइंट से चीते की तरह गेंद पर झपटे जोंटी गेंद को पकड़े-पकड़े ही स्टंप्स पर कूद गए. अगली एक पीढ़ी इसी अंदाज में रन आउट करने के सपने के साथ बड़ी हुई. इस घटना के बाद से क्रिकेट ने एक और अंगड़ाई ली. 

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3. साल 1999 विश्व कप का सेमीफाइनल

इस साल का एक सेमीफाइनल ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया था. और इसका रोमांच अपने चरम पर पहुंचा. ऑस्ट्रेलिया से जीत के लिए मिले 213 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका का स्कोर एक समय 6 विकेट पर 175 रन था. और जब आखिरी बल्लेबाज डोनाल्ड क्रीज पर उतरे, तो यह स्कोर 9 विकेट पर 148 हो गया था. इस समय एक छोर पर लांस क्लूजनर का बल्ला आग उगल रहा था. स्कोर 8 गेंदों पर 16 रन से चार गेंदों पर 1 रन रह गया. वजह यह रही कि पॉल राफेल के हाथों में कैच छक्के में तब्दील हो गया, तो फ्लेमिंग ने दो लगातार चौके खाए. पांच गेंदों में पांच रन की दरकार थी..सभी 11 फील्डर 30 गज के घेरे के भीतर..क्लूनजर ने चौका जड़ा. स्कोर बराबर हो गया और यहां से गेंद बचीं चार और अफ्रीका को बनाना था सिर्फ 1 रन. लेकिन जब लग रहा था कि दक्षिण अफ्रीका का सेमीफाइनल में खेलना महज औपचारिकता भर बचा है, तो डोनाल्ड तालमेल के अभाव में रन आउट हुए और दक्षिण अफ्रीका जीता हुआ मैच हार गया. और मैच टाई हो गया, लेकिन कंगारू पाइंट्स टेबल में दक्षिण अफ्रीका से एक पायदान ऊपर होने के कारण फाइनल में पहुंच गए. 

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Photo Credit: AFP

4. एमएस धोनी का खिताबी छक्का

सुनील गावस्कर ने कहा है कि अगर वह मरते समय भारतीय क्रिकेट के किसी नजारे को अपनी यादों में रखना चाहेंगे, तो यह एमएस धोनी का वही छ्क्का है. छक्का लगाकर भारत को जिताना और उसके बाद स्टाइल में बल्ला घुमाना, करोड़ों भारतीय फैंस की यादों में हमेशा-हमेशा के लिए समा गया. करोड़ों हिंदुस्तानियों को पल हमेशा रोमांचित करते रहेंगे, जब  नुवान कुसलशेखरा की गेंद को धोनी ने दर्शकों के भीतर पहुंचाकर भारत को दूसरी बार इस फॉर्मेट में खिताब से नवाज दिया. भारत दूसरा विश्व कप जीतने के लिए 28 साल से इंतजार कर रहा था. एक पीढ़ी जवान हो चुकी थी. ऐसे में जब अंदाज माही के बल्ले से ऐसा रहा, तो पिछली पीढ़ी तो संतुष्टि हुई, तो अगली पीढ़ी भी ऐसे ही शॉट के साथ भारत को चैंपियन बनाने के सपने के साथ जवां हुई. और भारत में क्रिकेट का जुनून एक अलग स्तर पर पहुंचा. और सचिन के बाद धोनी भारतीय युवाओं के अगले बड़े रोल मॉडल बन गए.

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5. साल 2019 World Cup फाइनल

यह फाइनल एक अलग ही स्तर का था. और अगर से तमाम पिछले या अगले फाइनलों का फाइनल कहा जाए, तो गलत नहीं होगा. तब तक जब तक अगला कोई फाइनल इस स्तर का नहीं हीं होता. बेनस्टोक्स को ओवर-थ्रो नियम का फायदा मिला. और दो रन छह रन में तब्दील हो गए. मैच टाई हो गया और सुपर ओवर में पहुंचा, लेकिन यहां भी फाइल टाई में तब्दील हो गया. और फिर ऐसे नियमों ने इंग्लैंड को चैंपियन बना दिया, जिससे करोड़ों फैंस खफा हो गए. सुपर ओवर में टाई होने के बाद देखा यह जाना था कि निर्धारित 50 ओवरों में किस टीम की बाउंड्रियों की संख्या ज्यादा थी, इसी ने इंग्लैंड को चैंपियन बना दिया, लेकिन सभी की सहानुभूति न्यूजीलैंड के साथ रही. यह ऐसा फाइनल रहा, जो पहले कभी नहीं खेला गया. कप्तान केन विलियमसन ने करोड़ों दिल जीते, लेकिन कप उठाने का सौभाग्य उन्हें नहीं मिला. यही फाइनल रहा, जिसके कारण ICC ने नियमों में बदलाव कर दिया. 

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