क्रिकेट की दुनिया के रंग बहुत ही निराले हैं. कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता. खास तौर पर टी20 तेजी से चाल-ढाल बदल रही है. इसका असर साफ-साफ देखने को मिल रहा है. और यह असर केएल राहुल (KL Rahul) जैसे बल्लेबाज पर भी पड़ता दिख रहा है. केएल की क्षमता ऐसी है कि वह ऐसे बल्लेबाज हैं, को खेले के हर फॉर्मेट में आसानी से फिट हो सकते हैं, लेकिन वक्त की मार देखिए कि न्यूजीलैंड के खिलाफ (Ind vs Nz) एक मैच क्या खराब गया कि दूसरे मैच से उनकी छुट्टी हो गई, तो वहीं अब खबरें इस तरह की फिजां में तैर रही हैं कि लखनऊ सुपर जॉयंट्स (LSG) ने केएल राहुल के साथ रिश्ता खत्म करने का मन बना लिया है. लेकिन क्रिकेट के जानकार हैरान हैं कि इतने स्थापित क्रिकेटर के साथ ऐसा बर्ताव क्यों, जो दिन विशेष मैच का रुख पलटने की क्षमता रखता है. लेकिन अगर लखनऊ का तर्क समझा जाए, तो उसकी बात में दम दिखाई पड़ता है.
इस बात ने भला नहीं किया केएल का
अगर पिछले कम से कम चार-पांच साल में टी-20 क्रिकेट पर गौर किया जाए, तो इसकी चाल और तेज हुई है. गैरपारंपिक बल्लेबाजों की संख्या बढ़ी है, तो पिछले साल सब्स्टीट्यूट नियम ने रनों की गति के प्रवाह को और बढ़ाया है और यही वह "स्पेस" है, जहां केएल राहुल फंसते दिखाई पड़ रहे हैं. यह हम नहीं कह रहे, इसकी गवाही आंकड़े पूरी तरह से कर रहे हैं. केएल राहुल का स्ट्राइक-रेट एलएसजी प्रबंधन को नहीं भाया.
इससे कहीं ज्यादा चाहता था लखनऊ
अब जबकि मिड्ल ऑर्डर में नितीश रेड्डी जैसे 21 साल के युवा करीब 170-180 के स्ट्राइक-रेट से रन बना रहे हैं या इसकी क्षमता रखते हैं,तो केएल का मी. एक तय स्तर पर जाकर रुक सा गया है. साल 2022 में केएल राहुल ने 616 रन बनाए और इसमें उसका स्ट्राइक-रेट 135.38 का है, तो अगले साल 9 मैचों में 274 में गिरकर 113.22 का रह गया. इस साल यह बढ़ा और 14 मैचों में बने 520 रनों में यह 136.12 का रह गया, लेकिन लखनऊ सुपर जॉयंट्स का प्रबंधन इससे संतुष्ट नहीं है. यही वजह है कि फिजां में तैर रहीं और अलग-अलग स्रोतों से बाहर आ रही खबरों के अनुसार एलएसजी ने केएल से किनारा करने का मन बना लिया है.बस इसका आधिकारिक ऐलान ही होना बाकी है.