पिच के पेंच में उलझी टीम इंडिया, क्या वाकई है टी-20 वर्ल्ड कप की प्रबल दावेदार?

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महेंद्र सिंह धोनी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: "ये हालात भारतीय से ज्यादा इंग्लैंड के लग रहे थे। ऐसा लगा मानो हम इंग्लिश कंडीशन्स में खेल रहे हों।" पुणे में हार के फ़ौरन बाद कप्तान धोनी हार की ज़िम्मेदारी बल्लेबाज़ों से कहीं ज़्यादा पिच पर थोपते नज़र आए। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या उनकी इस नाराज़गी को देखते हुए अब उन्हें स्पिनर्स के लिए मददगार पिच मिलने जा रही है।

टीम डायरेक्टर रवि शास्त्री के मुताबिक आउटफ़ील्ड सूखा है और पिच भी काफ़ी सूखी रह सकती है। ऐसे में एक अतिरिक्त स्पिनर टीम में शामिल किया जा सकता है।

वहीं, मैदान के सपोर्ट स्टाफ़ का कहना है कि उन्हें तैयारी के लिए महज़ 10 दिन का समय मिला और लगातार घरेलू मैचों के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी नहीं हो सकी। मतलब धीमी पिच पर असमान उछाल देखने को मिल सकता है लेकिन पिच पर पुणे की तरह घास दिखना मुश्किल है जहां भारतीय बल्लेबाज़ नए युवा श्रीलंकाई गेंदबाज़ों के सामने 20 ओवर भी खड़े नहीं रह सके।

पिछले साल दक्षिण अफ़्रीका के खिलाफ़ टेस्ट सीरीज़ के बाद भारतीय पिचों के स्तर को लेकर काफ़ी सवाल उठे। आईसीसी ने ख़ासकर नागपुर की पिच को लेकर कड़ी टिप्पणी भी की थी।

श्रीलंका के ख़िलाफ़ सीरीज़ एक बात है, लेकिन अब भारत को एशिया कप और वर्ल्ड टी-20 में हिस्सा लेना है। वर्ल्ड टी-20 में आईसीसी की निगरानी में ही पिचें तैयार होंगी। मतलब माना जा सकता है कि टूर्नामेंट में स्पोर्टिंग पिचें देखने को मिलेंगी।

अब रांची की पिच टीम इंडिया को ध्यान में रखकर बनाई गई है या टीम इंडिया स्पोर्टिंग पिच पर डिफेंडिंग चैंपियन को हराने का माद्दा रखती है, इस इम्तिहान का फ़ैन्स बेताबी से इंतज़ार कर रहे हैं।
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