- स्टीव स्मिथ टेस्ट मैच की पहली पारी में बल्लेबाजी करने से पहले घबराहट महसूस करते हैं
- स्मिथ ने केविन पीटरसन के साथ बातचीत में बताया कि वे पहली पारी के बाद ही पूरी तरह शांत होते हैं
- वे मैच से पहले शैडो बैटिंग करते हैं और उस समय अपनी बल्लेबाजी की कल्पना करते हैं
Steve Smith superstition: ऑस्ट्रेलियाई स्टार स्टीव स्मिथ का एक अजीब अंधविश्वास है. वह टेस्ट मैच की पहली पारी में बल्लेबाजी करने से पहले सोते नहीं .इस बात का खुलासा उन्होंने केविन पीटरसन के यू-ट्यूब चैनल पर किया है. स्मिथ ने हाल ही में इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन के साथ द स्विच के एक एपिसोड में इस अंधविश्वास पर खुलकर बात की. स्मिथ ने पीटरसन से कहा, "जब तक मैं पहली पारी में बल्लेबाज़ी नहीं कर लेता और फिर पूरी तरह से शांत हो पाता हूं, तब तक मुझे शायद सोने में दिक्कत होती है. अगर मैं पहली पारी में 5 गेंदें खेल भी लूं और रात का अंत हो जाए या ऐसा ही कुछ हो, तब भी मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन जब तक मैं वास्तव में पहली पारी में बल्लेबाजी नहीं करता मुझे ही नींद नहीं आती. "
इस पर पीटरसन ने पूछा कि क्या यह मैच से पहले की घबराहट का मामला है. उन्होंने आगे कहा कि "उन्होंने कई किस्से सुने हैं कि कैसे स्मिथ अपने कमरे में अपने बल्ले के साथ बस शैडो बैटिंग करते रहते थे." स्मिथ ने इस बारे में आगे कहा, "नहीं, यह उत्साह है.. मैं हमेशा उस समय का इस्तेमाल कल्पना करने के लिए करता हूं... हाँ, मैं थोड़ी-बहुत शैडो बैटिंग करता हूं. कभी-कभी, पहले जितनी नहीं, लेकिन ज़्यादातर मेरी कल्पना तब होती है जब मुझे सोना चाहिए होता है. यह शायद ऐसा कुछ नहीं है जिसे आप सामान्य कहेंगे या ऐसा कुछ जो आप लोगों को करने के लिए कहेंगे. लेकिन मैं यहीं अपनी कल्पना करता हूं. एक बार जब मैं मैदान पर उतरकर खेलना शुरू कर देता हूं, तो मैं ठीक हो जाता हूं और उसके बाद सो जाता हूं." स्मिथ ने फिर आगे कहा, "मैं ज़्यादा अंधविश्वासी नहीं हूं, मैं अपने जूतों के फीते मोज़ों से बांधता हूं."
इस मौके पर, पीटरसन ने बताया कि उन्होंने एक और कहानी सुनी थी कि कैसे एक बार ब्रैड हैडिन दिन का खेल शुरू होने से पहले आपको गेंदें फेंक रहे थे और आपने शतक बना लिया था..इस पर स्मिथ ने कहा, "यह भारत के खिलाफ था. गर्मियों की शुरुआत में. मैंने चार टेस्ट मैचों में चार शतक लगाए थे. इसलिए मैं मैदान पर ही था और उन्हें मुझे गेंदें फेंकते रहना पड़ता था. "













