"गौतम ने यह बड़ा मौका गंवा दिया क्योंकि रोहित और विराट...", बचपन के दोस्त नेहरा को पसंद नहीं आई यह "गंभीर" बात

Gautam Gambhir: जहां दूसरा वनडे हारने के बाद एक वर्ग गंभीर की आलोचना कर रहा है, तो पूर्व पेसर आशीष नेहरा ने एक अलग ही मद्दा उठाया है

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भारत के पूर्व क्रिकेटर आशीष नेहरा इन दिनों चैनल पर कमेंट्री कर रहे हैं
नई दिल्ली:

गौतम की खुशनुमा चर्चाएं बहुत हो चुकी हैं. और अच्छी बात यह है कि आलोचना से उन्हें  जल्द ही दो-चार होना पड़ा है. हालांकि, यह बात अलग है कि यह ज्यादा तीखी नहीं है. शायद इसकी वजह उनका हालिया समय में बतौर टीम इंडिय हेड कोच पारी की शुरुआत करना है. बहरहाल, इसी बीच गौतम के बचपन के दोस्त और पूर्व पेसर आशीष नेहरा ने एक अलग ही पहलू के लिए गंभीर की आलोचना की है. रविवार को श्रीलंका ने मेहमान टीम को 32 रन से क्या मात दी कि टीम इंडिया के हाथों से सीरीज जीतने का मौका भी निकल गया. पहला मैच टाई रहा था. जाहिर है कि बुधवार टीम मैच जीतने की सूरत में सीरीज बराबर ही करा पाएगी. बहरहाल, अब भारतीय प्रबंधन के सामने बड़ा सवाल यह है कि तीसरे और आखिरी वनडे में इलेवन में बदलाव किया जाए या नहीं.

जब आशीष नेहरा से यही सवाल किया गया, तो उन्होंने एक चैनल के कार्यक्रम में इसका सीधा सवाल देने से बचते हुए कहा कि गंभीर को रोहित और विराट पर ध्यान देने के बजाय वह कुछ और युवाओं को आजमा सकते थे. जानकारी के अनुसार जब पहले सीनियर खिलाड़ियों का प्लान वनडे सीरीज में खेलने का नहीं था, लेकिन जब गंभीर ने अनुरोध किया, तो उन्होंने खुद को उपलब्ध करार दिया. 

नेहरा ने कहा कि गंभीर इन दोनों का इंतजार कर सकते थे क्योंकि वह इन दोनों की सुपरस्टार खिलाड़ियों के लिए नए नहीं हैं. इन दोनों पर ध्यान देने क बजाय वह दूसरी पंक्ति के खिलाड़ियों को आजमा सकते थे. आशीष बोले कि अब भारत अपनी अगली सीरीज दो-तीन महीने बाद खेलेगा. ऐसा बहुत ही कम होता है. ऐसा ही कुछ रोहित और विराट के लिए है. मुझे लगता है कि यह सीरीज रिजर्व खिलाड़ियों को खिलान का एक अच्छा मौका थी. 

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पूर्व पेसर ने कहा कि मैं जानता हूं कि गौतम नए कोच हैं और वह अनुभवी खिलाड़ियों के साथ कुछ समय गुजारना चाहते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह विराट या कोहली को नहीं जानते थे.  उन्होंने कहा कि गंभीर कोई विदेशी कोच नहीं हैं, जिसे कोहली और रोहित के साथ ट्यूनिंग बैठानी थी. मैं यह नहीं कह रहा कि यह एप्रोच गलत है, लेकिन युवाओं को खिलाने की रणनीति ज्यादा बेहतर बात होती. 
 

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